Edited By Varsha Yadav,Updated: 22 Mar, 2023 10:50 AM

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सामवेद के हिंदी-उर्दू संस्करण का लोकार्पण किया।
नई दिल्ली। आरएसएस संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने वेदों के सूत्र वाक्य के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि “पूजा पद्धति एक धर्म का हिस्सा है, यह पूरा सच नहीं है” लेकिन हर धर्म का अंतिम लक्ष्य आध्यात्मिक सत्य को प्राप्त करना है और इसे सभी को प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए। यह सभी बातें मोहन भागवत ने 17 मार्च 2023 को डॉ इकबाल दुर्रानी जी द्वारा लिखित सामवेद उर्दू अनुवाद के उद्घाटन समारोह में कहीं।
इस कार्यक्रम का सह-आयोजन रीति चैरिटेबल फाउंडेशन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अरुण पांडे ने किया था। सामवेद हिंदू धर्म के चार प्राचीन पवित्र ग्रंथों में से एक है, और ऐसा माना जाता है कि इसे ब्रह्मांड के कंपन से प्राप्त किया गया है। यह हमें हमारे जीवन में संतुलन के महत्व के बारे में बताता है और यह भी बताता है कि मानवता की व्यापक भलाई के लिए हम अपने कार्यों को कैसे दिशा दे सकते हैं और खुद को कैसे संचालित कर सकते हैं।
भागवत ने कहा कि "अनुवादित सामवेद का विमोचन भारत की समृद्ध भारतीय सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस ऐतिहासिक दस्तावेज़ को बड़े पैमाने पर दर्शकों के लिए उपलब्ध कराना एक उल्लेखनीय कदम रहा है और हम इस यात्रा का हिस्सा बनकर सम्मानित महसूस कर रहे हैं। अरुण पाण्डेय ने कार्यक्रम का समापन करते हुए कहा कि रीति चैरिटेबल फाउंडेशन आने वाली पीढ़ियों के लिए भारतीय विरासत और संस्कृति को बढ़ावा देने और संरक्षित करने की दिशा में प्रयास करना जारी रखेगा।