Sharadiya Navratri 2025: कल है शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी, जानें क्या है कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त?

Edited By Updated: 29 Sep, 2025 11:25 AM

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शारदीय नवरात्र 2025 की महाअष्टमी 30 सितंबर, मंगलवार को है और महानवमी 1 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन नवदुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा और कन्या पूजन का विधान है। कन्याओं को आमंत्रित करके उनके पैरों को धोकर, माथे पर कुमकुम लगाकर भोजन कराएं...

नेशनल डेस्क : शारदीय नवरात्र 2025 की शुरुआत 22 सितंबर, सोमवार से हुई थी और यह पर्व 1 अक्टूबर, महानवमी तक चलेगा। नवरात्र के दौरान विशेष रूप से महाअष्टमी और महानवमी के दिन बहुत मान्यताएं होती हैं। इन दिनों पर कन्या पूजन करके नवरात्र का पारण किया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस बार महाअष्टमी (दुर्गाष्टमी) 30 सितंबर, मंगलवार को है, जबकि महानवमी 1 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

उत्तर भारत में इस दिन को महाअष्टमी कहा जाता है, वहीं पूर्वी भारत के कुछ राज्यों जैसे बंगाल में इसे दुर्गा अष्टमी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष आश्विन मास की अष्टमी तिथि का आरंभ 29 सितंबर, शाम 4:31 बजे से होगा और यह 30 सितंबर, शाम 6:06 बजे समाप्त होगी।

महाअष्टमी 2025 में कन्या पूजन मुहूर्त

महाअष्टमी पर कोई विशेष योग नहीं बन रहा है, लेकिन इस दिन कन्या पूजन के लिए कई शुभ मुहूर्त हैं। पहला मुहूर्त सुबह 5:01 बजे से 6:13 बजे तक रहेगा। दूसरा मुहूर्त 10:41 बजे से 12:11 बजे तक है। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:47 बजे से 12:35 बजे तक कन्या पूजन के लिए विशेष रूप से शुभ माना गया है।

महाअष्टमी पर कन्या पूजन कैसे करें

महाअष्टमी पर नवदुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा का विधान है। इस दिन कन्याओं को आमंत्रित करें और उनका विधिपूर्वक स्वागत करें। उनके पैरों को दूध से धोएं, माथे पर कुमकुम लगाएं और मां भगवती का ध्यान करते हुए भोजन कराएं। इसके बाद कन्याओं को दक्षिणा और उपहार दें और उनके पैरों को छूकर आशीर्वाद लें।

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महागौरी माता का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां महागौरी ने भगवान शिव की प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की थी, जिसके कारण उनका शरीर काला पड़ गया था। भगवान शिव के दर्शन और कृपा से उनका शरीर गौर हुआ और इन्हें गौरी नाम प्राप्त हुआ। विवाह संबंधी बाधाओं के निवारण और जीवन में सुख-शांति के लिए मां गौरी की पूजा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।

इस वर्ष शारदीय नवरात्र में महाअष्टमी पर कन्या पूजन करके न केवल धार्मिक आस्था पूरी होती है, बल्कि समाज में नवयुवती कन्याओं का सम्मान भी किया जाता है। यह परंपरा माता के प्रति श्रद्धा और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।

 


 

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