Edited By Utsav Singh,Updated: 01 Sep, 2024 11:18 AM
भिनेत्री से सांसद बनीं कंगना रनौत की आगामी फिल्म 'इमरजेंसी' इन दिनों कानूनी विवाद में फंस गई है। कुछ सिख संगठनों ने इस फिल्म पर आपत्ति जताते हुए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इन संगठनों का कहना है कि फिल्म में सिख समुदाय की भावनाओं...
नेशनल डेस्क : अभिनेत्री से सांसद बनीं कंगना रनौत की आगामी फिल्म 'इमरजेंसी' वर्तमान में कानूनी विवाद का सामना कर रही है। इस फिल्म के खिलाफ कुछ सिख संगठनों ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि फिल्म में सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है। इन संगठनों ने मांग की है कि फिल्म का स्क्रीनिंग सर्टिफिकेट रद्द किया जाए।
CBFC का जवाब
इस याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) ने अदालत को बताया कि फिल्म 'इमरजेंसी' को अभी तक कोई सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है। बोर्ड ने स्पष्ट किया कि फिल्म के प्रमाणन की प्रक्रिया नियमों और मानदंडों के अनुसार की जाएगी। इसके बाद, अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया और फिल्म के सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया पर किसी भी तत्काल रोक लगाने से इनकार कर दिया।
सत्य पाल जैन की टिप्पणियाँ
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) की ओर से कोर्ट में पेश हुए भारत के अतिरिक्त महाधिवक्ता सत्य पाल जैन ने स्पष्ट किया कि फिल्म 'इमरजेंसी' को सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए अभी तक मंजूरी नहीं दी गई है। उन्होंने बताया कि फिल्म के प्रमाणन पर विचार चल रहा है और यह पूरी तरह से स्थापित नियमों और विनियमों के अनुसार किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी को फिल्म के कंटेंट पर आपत्ति है, तो वे उसे बोर्ड के पास भेज सकते हैं। बोर्ड उस शिकायत पर गंभीरता से विचार करेगा और उसी के आधार पर निर्णय लेगा।
बोर्ड की प्रक्रिया
सत्य पाल जैन ने कोर्ट में कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड किसी भी फिल्म को सर्टिफाइड करने से पहले कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देता है। बोर्ड यह सुनिश्चित करता है कि फिल्म किसी धार्मिक या अन्य समूह की भावनाओं को ठेस न पहुंचाए। फिल्म की प्रमाणन प्रक्रिया में यह ध्यान रखा जाता है कि किसी भी समुदाय की संवेदनाओं का सम्मान किया जाए और नियमों के अनुसार निर्णय लिया जाए।
याचिका और शिरोमणि अकाली दल का विरोध
मोहाली के सिख एक्टिविस्ट गुरिंदर सिंह और जगमोहन सिंह ने याचिका में मांग की थी कि फिल्म 'इमरजेंसी' को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा जारी किए गए कथित सर्टिफिकेट को रद्द किया जाए। इसके साथ ही, उन्होंने फिल्म की रिलीज से पहले इसे प्रसिद्ध सिख हस्तियों द्वारा समीक्षा कराने की भी मांग की। इन एक्टिविस्टों का कहना है कि फिल्म में सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है और इसलिए सिख नेताओं द्वारा समीक्षा जरूरी है।
इसके अतिरिक्त, शिरोमणि अकाली दल ने भी फिल्म पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया है कि इसमें सिख समुदाय को गलत तरीके से चित्रित किया गया है। अकाली दल ने फिल्म पर बैन लगाने और इसके निर्माताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।
फिल्म का विषय और विवाद
फिल्म 'इमरजेंसी' में 1990 के दशक में पंजाब में फैले खालिस्तानी आतंकवाद और आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के बारे में भी दिखाया गया है। इन दृश्यों को लेकर कुछ लोगों ने आपत्ति जताई है, यह दावा करते हुए कि ये दृश्य सिख समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं। फिल्म की रिलीज 6 सितंबर को निर्धारित की गई है, लेकिन विवाद और आपत्तियों के कारण इसकी अंतिम मंजूरी और रिलीज की स्थिति अब केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) के निर्णय पर निर्भर करेगी।