टाटा मोटर्स और महिंद्रा ने किया बड़ा ऐलान: अब इस देश के लिए भी खास कारें बनाएंगी भारतीय कंपनियां

Edited By Updated: 27 Oct, 2025 05:59 PM

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भारत की दिग्गज ऑटो कंपनियां टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा अब विदेशों में भी अपनी मौजूदगी को और मजबूत करने जा रही हैं। इस बार दोनों कंपनियों की नजर दक्षिण अफ्रीका पर है। यहां भारतीय ऑटो ब्रांड्स न केवल कारों की असेंबली करेंगे, बल्कि अब पूरा...

नेशनल डेस्क: भारत की दिग्गज ऑटो कंपनियां टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा अब विदेशों में भी अपनी मौजूदगी को और मजबूत करने जा रही हैं। इस बार दोनों कंपनियों की नजर दक्षिण अफ्रीका पर है। यहां भारतीय ऑटो ब्रांड्स न केवल कारों की असेंबली करेंगे, बल्कि अब पूरा उत्पादन भी शुरू करने की तैयारी में हैं।

दक्षिण अफ्रीका में क्यों बढ़ा निवेश
दक्षिण अफ्रीका इस समय अपने ऑटोमोबाइल सेक्टर को फिर से मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है। वहां की सरकार चाहती है कि अधिक से अधिक विदेशी कंपनियां निवेश करें ताकि स्थानीय उत्पादन, रोजगार और निर्यात को बढ़ावा मिले। देश के ट्रेड, इंडस्ट्री और कॉम्पिटिशन मंत्री पार्क्स टाउ (Parks Tau) के मुताबिक, भारत और चीन की ऑटो कंपनियों ने यहां निवेश करने की गहरी रुचि दिखाई है।

सस्टेनेबल मोबिलिटी पर फोकस
अमेरिका की नई टैरिफ नीतियों और यूरोपीय संघ की ओर से पेट्रोल-डीजल वाहनों पर संभावित प्रतिबंध के कारण दक्षिण अफ्रीका का निर्यात घटने लगा है। इसलिए अब सरकार नई ऊर्जा वाहनों (NEVs) और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर जोर दे रही है।

महिंद्रा की नई रणनीति
महिंद्रा एंड महिंद्रा ने साफ किया है कि वह अपने मौजूदा सेमी-नॉक्ड डाउन (SKD) मॉडल से आगे बढ़कर अब कंप्लीट-नॉक्ड डाउन (CKD) उत्पादन पर काम करेगी। इसका मतलब है कि अब दक्षिण अफ्रीका में वाहनों का पूरा निर्माण स्थानीय स्तर पर होगा। महिंद्रा यहां इलेक्ट्रिक वाहन (EV) असेंबली यूनिट लगाने की भी योजना बना रही है, जिसे दक्षिण अफ्रीका की क्लीन मोबिलिटी नीति का समर्थन मिलेगा।

टाटा मोटर्स की वापसी
टाटा मोटर्स, जिसने 2017 में अफ्रीका को निर्यात बंद कर दिया था, अब एक बार फिर वापसी की तैयारी कर रही है। कंपनी ने मोटस होल्डिंग्स लिमिटेड, जो दक्षिण अफ्रीका की सबसे बड़ी पैसेंजर व्हीकल रिटेलर है, के साथ साझेदारी की है। इस सहयोग से टाटा अपने वाहनों की सप्लाई चेन और बिक्री नेटवर्क को फिर से मजबूत करेगी।

सरकार और अन्य कंपनियों की बातचीत
दक्षिण अफ्रीकी सरकार सिर्फ भारतीय कंपनियों तक सीमित नहीं है — वह टोयोटा, फोर्ड जैसी वैश्विक कंपनियों के साथ भी बातचीत कर रही है ताकि देश में ऑटो प्रोडक्शन बना रहे। साथ ही, सरकार टैरिफ जोखिम, चीनी प्रतिस्पर्धा और महंगे इलेक्ट्रिक ट्रांजिशन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए नई नीतियां तैयार कर रही है।

क्या है बड़ी तस्वीर
भारत की कंपनियों के लिए यह कदम न सिर्फ विदेशी बाजार में विस्तार का अवसर है, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ से ‘मेड बाय इंडिया’ तक पहुंचने की दिशा में बड़ा कदम भी है। दक्षिण अफ्रीका में बढ़ता भारतीय निवेश आने वाले समय में दोनों देशों के बीच आर्थिक और तकनीकी साझेदारी को और मजबूत कर सकता है।

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