चिनाब ब्रिज से भी कई गुना ऊंची है यह रेलवे लाइन, हर कोच में तैनात रहते हैं डॉक्टर, ऑक्सीजन मास्क पहनना है ज़रूरी

Edited By Updated: 06 Aug, 2025 12:46 PM

this railway line is higher than chenab bridge masks are mandatory

दुनिया का सबसे ऊंचा आर्क रेलवे ब्रिज, चिनाब ब्रिज, हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। यह पुल जम्मू-कश्मीर में माता वैष्णो देवी कटरा को श्रीनगर से जोड़ता है और इसकी ऊंचाई एफिल टॉवर से भी ज़्यादा है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में एक ऐसी रेलवे...

नेशनल डेस्क। दुनिया का सबसे ऊंचा आर्क रेलवे ब्रिज, चिनाब ब्रिज, हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। यह पुल जम्मू-कश्मीर में माता वैष्णो देवी कटरा को श्रीनगर से जोड़ता है और इसकी ऊंचाई एफिल टॉवर से भी ज़्यादा है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में एक ऐसी रेलवे लाइन भी है जो चिनाब ब्रिज से कई गुना ज़्यादा ऊंची है। इस ट्रेन में सफर के दौरान यात्रियों को हवाई जहाज की तरह ऑक्सीजन मास्क पहनना अनिवार्य होता है।

कहां है यह दुनिया की सबसे ऊंची रेलवे लाइन?

विश्व की सबसे ऊंची रेल लाइन किंघाई-तिब्बत रेलवे लाइन है जिसका संचालन चीन करता है। यह 1,956 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन शिनिंग (किंघाई प्रांत) से ल्हासा (तिब्बत) तक फैली है। अपनी बेहतरीन इंजीनियरिंग के लिए मशहूर यह लाइन एक जगह समुद्र तल से करीब 5,068 मीटर की ऊंचाई पर है जो चिनाब ब्रिज की ऊंचाई (359 मीटर) से लगभग 5 गुना ज़्यादा है।

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क्यों पहनना पड़ता है ऑक्सीजन मास्क?

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ऑक्सीजन की कमी: यह ट्रेन जब तंगलांग ला दर्रे को पार करती है तो ट्रैक की ऊंचाई 5,068 मीटर तक पहुंच जाती है। इतनी ज़्यादा ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी हो जाती है जिससे यात्रियों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है। इसी वजह से ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों को ऑक्सीजन मास्क पहनना ज़रूरी होता है जो हवाई जहाज की तरह ऊपर से नीचे आता है।

डॉक्टरों की टीम रहती है तैनात: यात्रियों की सुरक्षा के लिए हर कोच में एक डॉक्टर भी तैनात रहता है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत मेडिकल सहायता दी जा सके।

खास डिज़ाइन के कोच: इस रेलवे लाइन पर चलने वाली ट्रेनों के कोच विशेष रूप से दबावयुक्त होते हैं। इन्हें खास तौर पर ऊंचाई की कठिन परिस्थितियों के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह रेलवे लाइन 2006 में शुरू हुई थी और आज रोज़ हज़ारों यात्री इसमें सफर करते हैं जिनमें ज़्यादातर पर्यटक और श्रद्धालु होते हैं।

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