केंद्रीय मंत्री ने परिसीमन को संवैधानिक प्रक्रिया बताया, बीआरएस ने दक्षिण के साथ ‘अन्याय' करार दिया

Edited By rajesh kumar,Updated: 01 Jun, 2023 07:16 PM

union minister calls delimitation a constitutional process

केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा है कि लोकसभा परिसीमन एक संवैधानिक प्रक्रिया है और यह नहीं पता कि इसे कब शुरू किया जाएगा। वहीं, तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने कहा कि अगर परिसीमन आबादी के आधार पर किया जाता है तो...

नेशनल डेस्क: केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा है कि लोकसभा परिसीमन एक संवैधानिक प्रक्रिया है और यह नहीं पता कि इसे कब शुरू किया जाएगा। वहीं, तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने कहा कि अगर परिसीमन आबादी के आधार पर किया जाता है तो यह कदम दक्षिण भारत के साथ ‘‘घोर अन्याय'' होगा। राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए रेड्डी ने कहा था कि नई संसद का निर्माण भविष्य की जरूरतों के आधार पर किया गया है।

परिसीमन एक संवैधानिक प्रक्रिया है
लोकसभा परिसीमन को लेकर बीआरएस के दावे से जुड़े सवाल पर रेड्डी ने कहा, ‘‘परिसीमन एक संवैधानिक प्रक्रिया है। इसे कब शुरू किया जाएगा, यह हम नहीं जानते। नई संसद का निर्माण भविष्य की जरूरतों के आधार पर किया गया है। हम उस (परिसीमन) पर कोई नया कानून नहीं बना रहे हैं।'' नये संसद भवन के लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है जबकि राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की क्षमता है। इस तथ्य के मद्देनजर परिसीमन के बाद देश में संसद सदस्यों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

रेड्डी ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दक्षिण भारत से ताल्लुक रखने वाली हस्तियों का हमेशा सम्मान करते हैं। इस बीच, तेलंगाना के मंत्री केटी रामाराव ने बृहस्पतिवार को हैदराबाद में संवाददाताओं से कहा कि 1970 और 1980 के दशकों के अंत में केंद्र के परिवार नियोजन अभियान को दक्षिणी राज्यों और कुछ अन्य प्रगतिशील राज्यों द्वारा गंभीरता से लिया गया, जिसके परिणामस्वरूप (इन राज्यों में) जनसंख्या वृद्धि कम हुई।

बीआरएस ने दक्षिण के साथ ‘अन्याय' करार दिया
मंत्री ने कहा, ‘‘आप उन राज्यों को दंडित नहीं कर सकते हैं जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर अच्छा काम किया और न ही यह कह सकते हैं कि चूंकि आपने जनसंख्या नियंत्रित कर ली है, इसलिए हम संसद में आपकी सीटों की संख्या या संसद में आपके प्रतिनिधित्व को कम करके आपको दंडित करेंगे। यह बेतुका और भयानक है।'' उन्होंने दक्षिणी राज्यों के नेताओं और लोगों से राजनीति से परे जाकर इस ‘‘अन्याय'' के खिलाफ बोलने की अपील की और केंद्र से इस संबंध में सभी हितधारकों के साथ चर्चा करने की मांग की।

एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने केटीआर के बयान से सहमति जताते हुए कहा, ‘‘पिछले पांच साल में यह बात उठती रही है कि आप आबादी पर नियंत्रण करने वाले राज्यों को दंडित नहीं कर सकते। और यदि आप जनसंख्या के आधार पर परिसीमन का मानक तय करने जा रहे हैं तो आप उन राज्यों को दंडित कैसे कर सकते हैं जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण किया है।'' हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा कि केंद्र को ऐसा रास्ता तलाशना होगा जिसमें जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करने वाले राज्य लोकसभा में प्रतिनिधित्व के मामले में पिछड़ें नहीं। 

 

 

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