Edited By Tanuja,Updated: 27 Oct, 2025 04:37 PM

अफगान सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, सेना प्रमुख आसिम मुनीर और जनरल शमशाद बेग विदेश दौरों पर हैं। पाकिस्तान तालिबान से सीमा पार आतंकवाद रोकने की मांग कर रहा है, पर तालिबान ने इसे ठुकरा दिया है। विडंबना यह है कि...
International Desk: अफगान सीमा पर बढ़ते तनाव और आतंकी हमलों की झड़ी के बीच पाकिस्तान की अक्ल ठिकाने आ रही है और वो भारत के नक्शेकदम पर चलता नजर आ रहा है। पाकिस्तान सरकार और सेना शीर्ष राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व एक साथ विदेशों में कूटनीति साधने में जुटी है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सऊदी अरब में हैं, सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर जॉर्डन में, और उपसेना प्रमुख मिर्जा शमशाद बेग बांग्लादेश में जबकि अफगान तालिबान से बातचीत इस्तांबुल में जारी है। यह स्थिति पाकिस्तान की “बहु-स्तरीय कूटनीति” की ओर संकेत करती है, जहां एक ओर वह सुरक्षा साझेदारी की तलाश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर युद्ध की आशंका से खुद को बचाना चाहता है।
पाकिस्तान की त्रिकोणीय विदेश कूटनीति
सऊदी अरब के साथ सुरक्षा समझौता करने के बाद पाकिस्तान अब अपने पड़ोसी अफगानिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश में है। लेकिन काबुल और कंधार पर किए गए पाकिस्तानी हवाई हमलों के बाद तालिबान का रुख बेहद सख्त हो गया है। अक्तूबर 2025 में हुए इन हमलों के जवाब में अफगान तालिबान ने पाकिस्तानी चौकियों पर गोलाबारी की, जिसमें दर्जनों सैनिक मारे गए। सीमा पर तनाव अब इस स्तर पर पहुंच गया है कि किसी भी समय जंग छिड़ सकती है।
“पाकिस्तान की शर्तें अव्यवहारिक”
इस्तांबुल में चल रही शांति वार्ता में पाकिस्तान ने अफगान तालिबान के सामने अपनी “अंतिम स्थिति” रखी। पाकिस्तान ने कहा कि तालिबान शासन को सीमा पार आतंकवाद खत्म करने के लिए “ठोस और सत्यापन योग्य कदम” उठाने होंगे। लेकिन तालिबान ने इन मांगों को “अतार्किक” और “जमीनी हकीकत से परे” बताया। पाकिस्तान का आरोप है कि अफगान भूमि से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के आतंकवादी हमले कर रहे हैं, जिनकी संख्या 2025 में 600 से अधिक रही है।
विडंबना यह है कि पाकिस्तान अब वही मांग कर रहा है जो भारत उससे वर्षों से करता आया है “अपनी भूमि से आतंकवाद बंद करो।” भारत बार-बार कह चुका है कि पाकिस्तान की एजेंसियां जम्मू-कश्मीर और अन्य हिस्सों में आतंकी गतिविधियों को समर्थन देती हैं। भारत ने कई बार ठोस सबूत भी सौंपे हैं लेकिन पाकिस्तान हर बार “ना” कहकर बच निकलता है। अब वही पाकिस्तान तालिबान से यही कह रहा है कि अफगान भूमि का इस्तेमाल पाकिस्तान पर हमले के लिए न किया जाए।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘संतुलन साधने’ की कोशिश
पाकिस्तान की मौजूदा विदेश नीति “मल्टी-फ्रंट बैलेंसिंग” पर आधारित है
पश्चिमी सीमा पर अफगानिस्तान से शांति,
खाड़ी देशों से आर्थिक मदद,
और दक्षिण एशिया में प्रभाव बनाए रखना।
मुनीर, शहबाज और शमशाद की यात्राएं इसी रणनीति का हिस्सा हैं। पाकिस्तान फिलहाल कूटनीति, गठबंधनों और निवेश समझौतों के जरिए खुद को किसी बड़े संघर्ष से दूर रखना चाहता है।