ना उल्टी, ना पेट बढ़ना... जानिए क्या होती है सीक्रेट प्रेग्नेंसी और इसमें क्यों नहीं दिखते कोई संकेत?

Edited By Updated: 23 Jul, 2025 02:13 PM

what is secret pregnancy and why is it kept hidden

हर महिला के लिए प्रेग्नेंसी का अनुभव बेहद खास होता है जिसमें शुरुआती हफ्तों से ही शरीर में कई बदलाव महसूस होने लगते हैं लेकिन क्या हो जब कोई महिला गर्भवती हो और उसे इस बात का पता ही न चले? सुनकर भले ही यह हैरान करने वाला लगे पर दुनिया में ऐसे कई...

नेशनल डेस्क। हर महिला के लिए प्रेग्नेंसी का अनुभव बेहद खास होता है जिसमें शुरुआती हफ्तों से ही शरीर में कई बदलाव महसूस होने लगते हैं लेकिन क्या हो जब कोई महिला गर्भवती हो और उसे इस बात का पता ही न चले? सुनकर भले ही यह हैरान करने वाला लगे पर दुनिया में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जहां महिला को अपने गर्भवती होने का एहसास ही नहीं होता या उसे बहुत देर बाद इसकी जानकारी मिलती है। इसे 'सीक्रेट प्रेग्नेंसी' या 'क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी' कहा जाता है।

यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिला के गर्भवती होने के कोई सामान्य लक्षण नहीं दिखते जिससे यह सवाल उठता है कि आखिर इसका कारण क्या है। तो चलिए इसे विस्तार से समझते हैं।

क्या है क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी?

आमतौर पर महिलाओं को 4 से 12 हफ्तों के भीतर प्रेग्नेंसी का एहसास हो जाता है लेकिन सीक्रेट प्रेग्नेंसी में महिला को गर्भवती होने का कोई संकेत नहीं मिलता। कभी-कभी तो प्रसव पीड़ा शुरू होने तक भी किसी महिला को पता नहीं चलता कि वह गर्भवती है।

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दरअसल क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी सामान्य गर्भावस्था से अलग होती है क्योंकि इसमें गर्भावस्था के आम लक्षण (जैसे मासिक धर्म का रुकना, पेट का बढ़ना, या गर्भावस्था टेस्ट में पॉजिटिव परिणाम) बहुत हल्के हो सकते हैं, पूरी तरह अनुपस्थित हो सकते हैं या आसानी से नज़रअंदाज़ हो सकते हैं। ऐसे में महिला को लगता है कि सब कुछ सामान्य है।

क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी के प्रमुख कारण

क्रिप्टिक या सीक्रेट प्रेग्नेंसी के कई कारण हो सकते हैं जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:

➤ PCOD/PCOS की समस्या: यह सबसे बड़ा कारण हो सकता है। जिन महिलाओं को पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) या पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) की बीमारी होती है उनके पीरियड्स (मासिक धर्म) अनियमित होते हैं या दो से तीन महीने देरी से आते हैं। इस परिस्थिति में ऐसी महिलाएं इसे अपनी आम समस्या समझकर गर्भावस्था के संकेत को अक्सर नज़रअंदाज़ कर देती हैं।

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➤ कम HCG हार्मोन का स्तर: कुछ महिलाओं में एचसीजी (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन) हार्मोन का स्तर कम होता है। यह वही हार्मोन है जिसका पता गर्भावस्था टेस्ट किट लगाती है। हार्मोन का स्तर कम होने के कारण गर्भावस्था टेस्ट नेगेटिव आ सकता है जिससे महिला को पता नहीं चल पाता कि वह गर्भवती है।

➤ मेनोपॉज के लक्षण: कभी-कभी 40 की उम्र के बाद महिलाओं में मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) के लक्षण शुरू हो जाते हैं जैसे अनियमित पीरियड्स या हॉट फ्लैश। ऐसी स्थिति में महिलाएं अक्सर यह मान लेती हैं कि इस उम्र में गर्भावस्था संभव नहीं है लेकिन वे अनजाने में गर्भ धारण कर लेती हैं।

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➤ शरीर का प्रकार और पेट का बढ़ना: कुछ महिलाओं का शरीर ऐसा होता है कि गर्भावस्था के दौरान पेट का बढ़ना बहुत धीमा होता है या दिखाई नहीं देता खासकर अगर उनका वजन ज़्यादा हो।

➤ मानसिक या भावनात्मक कारक: कुछ दुर्लभ मामलों में, तनाव या भावनात्मक स्थिति भी शरीर की प्रतिक्रियाओं को प्रभावित कर सकती है जिससे गर्भावस्था के लक्षणों को पहचानने में देरी हो सकती है।

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