Edited By Radhika,Updated: 11 Dec, 2025 03:17 PM

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जुलाई 2025 में भारत पर 25 % टैरिफ़ लगाने का ऐलान किया था और भारतीय अर्थव्यवस्था को Dead Economy तक कह दिया था। लेकिन अब ट्रंप के इस बयान के ठीक विपरीत अमेरिका की सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी और ई-कॉमर्स कंपनियाँ भारत में...
नेशनल डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जुलाई 2025 में भारत पर 25 % टैरिफ़ लगाने का ऐलान किया था और भारतीय अर्थव्यवस्था को Dead Economy तक कह दिया था। लेकिन अब ट्रंप के इस बयान के ठीक विपरीत अमेरिका की सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी और ई-कॉमर्स कंपनियाँ भारत में अपना कारोबार और निवेश तेज़ी से बढ़ा रही हैं। Microsoft,Amazon), Google और OpenAI जैसी दिग्गजों ने भारत में लाखों करोड़ रुपये के निवेश का ऐलान किया है।
अमेज़न और माइक्रोसॉफ्ट का रिकॉर्ड निवेश
- माइक्रोसॉफ्ट का एशिया का सबसे बड़ा निवेश: पीएम मोदी से मुलाकात के बाद माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला ने 2029 तक भारत के Cloud और AI विस्तार के लिए 17.5 अरब डॉलर (लगभग 1.57 लाख करोड़ रुपये) के निवेश का ऐलान किया है। यह एशिया में कंपनी का अब तक का सबसे बड़ा निवेश होगा।
- अमेज़न का बड़ा दाँव: माइक्रोसॉफ्ट के अगले ही दिन 10 दिसंबर को अमेज़न ने भारत में 35 अरब डॉलर तक के निवेश की घोषणा की। 2030 तक होने वाला यह निवेश ई-कॉमर्स दिग्गज के सबसे बड़े ग्लोबल मार्केट्स में से एक भारत के साथ उसके संबंधों को मजबूत करेगा। अमेज़न AI, लॉजिस्टिक्स इंफ्रा और क्विक कॉमर्स बिजनेस में विस्तार की योजना बना रहा है।

गूगल और अन्य टेक दिग्गजों की दौड़
- Google का AI हब: इससे पहले अक्टूबर में गूगल ने आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम में एक बड़े पैमाने पर AI हब बनाने के लिए 15 अरब डॉलर की लागत का ऐलान किया था। यह अमेरिका के बाहर गूगल का सबसे बड़ा निवेश होगा। गूगल ने कहा है कि यह कैंपस AI इंफ्रास्ट्रक्चर और डेटा सेंटर को रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता के साथ एकीकृत करेगा और 2030 तक 1 लाख नौकरियाँ पैदा कर सकता है।
- इंटेल और कॉग्निजेंट की दिलचस्पी: टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने अपने चिप प्लांटों के लिए संभावित खरीदार के रूप में इंटेल को अप्रोच किया है, जो भारत की चिप उत्पादन क्षमता में इंटेल के विश्वास को दर्शाता है। कॉग्निजेंट के सीईओ रवि कुमार ने भी भारत की 'AI फर्स्ट' पहल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- OpenAI की एंट्री: कई रिपोर्टों के अनुसार OpenAI, Tata Consultancy Services (TCS) के साथ मिलकर भारत में अपने बड़े प्रोजेक्ट 'Stargate' का चैप्टर लॉन्च करने के लिए बातचीत कर रही है।
भारत में क्यों आ रही हैं ये कंपनियाँ?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक इन अमेरिकी कंपनियों के भारी निवेश के पीछे 5 मुख्य कारण हैं:
- विशाल मार्केट: भारत में इंटरनेट यूज़र्स, स्मार्टफोन का उपयोग और डिजिटल सेवाओं की मांग बहुत बड़ी है, जो AI सेवाओं, क्लाउड-सर्विसेज़ और डेटा-प्रोसेसिंग के लिए एक बड़ी मार्केट प्रदान करती है।
- डेटा और नेटवर्क: AI मॉडल के लिए ज़रूरी डेटा, बड़ा यूज़र बेस और क्वालिटी नेटवर्क्स भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे निवेश का माहौल अच्छा है।
- कुशल और सस्ता श्रम: भारत में टेक, इंजीनियरिंग और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में अत्यधिक कुशल लोग मौजूद हैं। यहाँ डेटा सेंटर चलाने की लागत अमेरिका और पश्चिमी देशों की तुलना में काफी कम है।
- मजबूत टेक इकोसिस्टम: भारत में पहले से ही मजबूत IT सेवाएँ, डेटा सेंटर और एक तेज़ी से बढ़ती स्टार्ट-अप संस्कृति है, जो US कंपनियों को AI-हब या क्लाउड सेंटर खोलने के लिए एक आदर्श स्थान प्रदान करती है।
- वैश्विक विस्तार: Microsoft, Google, Amazon जैसी कंपनियाँ AI और क्लाउड टेक्नोलॉजी को वैश्विक स्तर पर फैलाना चाहती हैं। भारत वैश्विक AI/क्लाउड विस्तार के लिए एक मुख्य केंद्र बन रहा है।