भारत नहीं, ये है पाकिस्तान का सबसे बड़ा दुश्मन, PAK के अस्तित्व पर मंडरा रहा है विनाश का खतरा

Edited By Updated: 16 Jul, 2025 04:31 PM

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पाकिस्तान इन दिनों एक ऐसे खतरे से जूझ रहा है जिसे अब वहां के विशेषज्ञ भारत से भी बड़ा दुश्मन मान रहे हैं। ये खतरा है जलवायु परिवर्तन (Climate Change)। वर्षों से पाकिस्तान में सेना और सरकार अपने लोगों को भारत के खिलाफ भड़काकर देशभक्ति का भाव जगाने की...

नेशनल डेस्क: पाकिस्तान इन दिनों एक ऐसे खतरे से जूझ रहा है जिसे अब वहां के विशेषज्ञ भारत से भी बड़ा दुश्मन मान रहे हैं। ये खतरा है जलवायु परिवर्तन (Climate Change)। वर्षों से पाकिस्तान में सेना और सरकार अपने लोगों को भारत के खिलाफ भड़काकर देशभक्ति का भाव जगाने की कोशिश करती रही है लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। अब मौसम की मार पाकिस्तान के अस्तित्व के लिए चुनौती बन गई है।

जलवायु संकट बना अस्तित्व का सवाल

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से पत्रकार फरहान बुखारी का कहना है कि जलवायु परिवर्तन पाकिस्तान के भविष्य को बर्बादी की ओर धकेल रहा है। उनका मानना है कि जहां एक तरफ सरकार और सेना भारत को सबसे बड़ा खतरा बताती रही है वहीं असली खतरा तो मौसम में हो रहे बदलाव हैं। उन्होंने चेताया कि अगर जलवायु संकट को नजरअंदाज किया गया तो आने वाले वर्षों में पाकिस्तान को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

पाक वित्त मंत्री ने भी मानी जलवायु की गंभीरता

पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने भी जलवायु संकट को खुलकर स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या वृद्धि पाकिस्तान के भविष्य के लिए 'अस्तित्व का खतरा' बन चुकी हैं। उन्होंने यह भी इशारा किया कि जलवायु संकट को भारत से भी बड़ा दुश्मन समझा जाना चाहिए। यह बयान पाकिस्तान में बदली सोच की ओर इशारा करता है।

मौसम का बदलता मिजाज और असर

पाकिस्तान के विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण देश में मौसम चक्र पूरी तरह बिगड़ चुका है।

  • हाल ही में लाहौर में मानसून समय से पहले पहुंच गया।

  • सर्दियों में ठंड की कमी देखी गई।

  • बारिश और तापमान के असामान्य पैटर्न ने खेती और जल आपूर्ति को बुरी तरह प्रभावित किया है।

इन सबका सीधा असर किसानों की आजीविका और देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है।

आर्थिक सर्वेक्षण भी दे चुका है चेतावनी

पाकिस्तान सरकार द्वारा प्रस्तुत 2024-25 के आर्थिक सर्वेक्षण और विशेषज्ञों की राय दोनों इस बात की पुष्टि करते हैं कि देश गंभीर जलवायु संकट का सामना कर रहा है। सर्वेक्षण के अनुसार, पाकिस्तान दुनिया के सबसे अधिक जलवायु-संवेदनशील देशों में से एक है, जबकि उसका वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में योगदान 1% से भी कम है। इसके बावजूद, वह जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित देशों में पहले स्थान पर है। देश में लगातार तीव्र मौसम की घटनाएं जैसे बाढ़, सूखा, लू और असामान्य बारिश हो रही हैं, जो पर्यावरणीय असंतुलन और मानवीय संकट को और बढ़ा रही हैं।

क्यों चिंता का विषय है जलवायु संकट?

बदलते मौसम का खेती पर गहरा असर पड़ रहा है। सिंचाई के पारंपरिक स्रोत अस्थिर हो गए हैं, जिससे फसलों और बीजों के चक्र में भारी गड़बड़ी आ रही है। हिमालय से निकलने वाली नदियों का बहाव भी अब असामान्य होता जा रहा है, जिससे पानी की कमी एक गंभीर समस्या बन गई है। इस जल संकट और मौसम की मार का सीधा असर न सिर्फ कृषि पर बल्कि स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। तेज़ गर्मी, लू और मलेरिया जैसी बीमारियों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। इसके साथ ही, बर्बाद होती फसलों और बार-बार आने वाली प्राकृतिक आपदाओं के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर भी दबाव बढ़ रहा है, जिससे GDP प्रभावित हो रही है।

अब भी सरकारें गंभीर नहीं

फरहान बुखारी ने इस बात पर भी चिंता जताई कि न तो पाकिस्तान की सरकार और न ही सेना इस संकट को गंभीरता से ले रही है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर जैसे नेता जलवायु परिवर्तन पर कोई ठोस योजना सामने नहीं लाए हैं।यह स्थिति तब है जब हर साल बाढ़ और सूखे से हजारों लोग प्रभावित होते हैं और देश को अरबों डॉलर का नुकसान होता है।

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