पंजाब का 12 लाख हेक्टेयर धान क्षेत्र को डीएसआर तकनीक के तहत लाने का लक्ष्य

Edited By Updated: 22 May, 2022 03:46 PM

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चंडीगढ़, 22 मई (भाषा) पंजाब के कृषि विभाग ने धान के 12 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को ‘धान की सीधी बुवाई’ (डीएसआर) तकनीक के तहत लाने का लक्ष्य रखा है। यह पिछले साल डीएसआर के तहत क्षेत्र की तुलना में लगभग दोगुना होगा।

चंडीगढ़, 22 मई (भाषा) पंजाब के कृषि विभाग ने धान के 12 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को ‘धान की सीधी बुवाई’ (डीएसआर) तकनीक के तहत लाने का लक्ष्य रखा है। यह पिछले साल डीएसआर के तहत क्षेत्र की तुलना में लगभग दोगुना होगा।
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विभाग को निर्देश दिया है कि करीब 12 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को इस तकनीक के तहत लाने का प्रयास किया जाए। मान के पास कृषि विभाग का प्रभार भी है।
डीएसआर तकनीक से की जाने वाली सिंचाई में काफी कम पानी लगता है, रिसाव कम होता है, कृषि श्रमिकों पर निर्भरता घटती है और मृदा की सेहत भी बेहतर होती है। इससे धान और चावल की उपज में पांच से 10 प्रतिशत का सुधार भी होता है।
डीएसआर तकनीक के तहत धान के बीजों की बुवाई खेतों में मशीनों के जरिये की जाती है। वहीं परंपरागत तरीके में धान के पौधे किसान नर्सरियों में उगाते हैं और उसके बाद इन्हें खेतों में लगाया जाता है।
किसानों को डीएसआर तकनीक के जरिये धान की बुवाई के लिए प्रोत्साहित करने को सरकार प्रति हेक्टेयर 1,500 रुपये का प्रोत्साहन भी देगी।
किसानों को पानी की कम खपत वाली डीएसआर तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहन देने को सरकार ने 450 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की है।
कुछ क्षेत्रों में चूहों द्वारा धान के खेतों को नुकसान पहुंचाने की खबरों के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग को किसानों को मुफ्त में चूहों पर नियंत्रण के लिए कीटनाशक उपलब्ध कराने को कहा है।
कृषि विभाग के निदेशक गुरविंदर सिंह ने कहा कि डीएसआर तकनीक के इस्तेमाल से परंपरागत खेती की तुलना में पानी की 15 से 20 प्रतिशत की बचत होती है।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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