जी-7 शिखर सम्मेलन द्विपक्षीय कटुता समाप्त करने का ऐतिहासिक अवसर

Edited By ,Updated: 11 Jun, 2025 03:27 PM

g 7 summit is a historic opportunity to end bilateral bitterness

सरी (कनाडा) में आयोजित हो रहा जी-7 शिखर सम्मेलन विभिन्न दृष्टिकोणों से बहुत महत्वपूर्ण है। आज विश्व जहां व्यापार प्रतिबंधों और व्यापार युद्धों के कारण अनिश्चितता से भरा हुआ है, वहीं दुनिया भर में चल रहे युद्ध भी मानवता के लिए गहरी चिता का कारण हैं।...

नेशनल डेस्क: सरी (कनाडा) में आयोजित हो रहा जी-7 शिखर सम्मेलन विभिन्न दृष्टिकोणों से बहुत महत्वपूर्ण है। आज विश्व जहां व्यापार प्रतिबंधों और व्यापार युद्धों के कारण अनिश्चितता से भरा हुआ है, वहीं दुनिया भर में चल रहे युद्ध भी मानवता के लिए गहरी चिता का कारण हैं। ऐसी परिस्थितियों में विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्था वाले जी 7 देशों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। इस वर्ष जी-7 के सदस्य देशों के प्रमुखों के अलावा भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रामफोसा आदि जैसे महत्वपूर्ण विश्व नेता इस शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।

लेकिन इनमें नरेन्द्र मोदी की भागीदारी विशेष चर्चा का कारण रही। वह लगातार प्रत्येक जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेते रहे हैं लेकिन इस बार उन्हें इसमें आमंत्रित नहीं किया गया, चर्चा का केन्द्र रहा। इसका कारण भारत और कनाडा के बीच बिगड़ते संबंधों को माना गया। पिछले कुछ वर्षों से भारत-कनाडा संबंध अत्यंत तनावपूर्ण रहे हैं। इस तनाव की उत्पत्ति 1974 में भारतीय परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी मानी जा सकती है लेकिन हाल के वर्षों में, पूर्व कनाडाई प्रधानमंत्री की 2018 की भारत यात्रा को नए तनाव की शुरुआत माना जा सकता है।

जब सितंबर 2023 में कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्र्डो ने कनाडाई संसद में खड़े होकर कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि सरी में एक खालिस्तानी नेता की हत्या के पीछे पीछे भारत सरकार का हाथ है, है, तो भारत-कनाडा संबंध रसातल में चले गए थे। टूडो युग के अंत के बाद कनाडा में एक बदलाव देखने को मिला, जहां दोनों प्रमुख पार्टियों, चाहे वह लिबरल पार्टी हो या कंजर्वेटिव, ने ने चुनाव चुनाव अभियान में इस बात पर जोर दिया कि वे भारत के साथ संबंध बहाल करेंगे।

प्रधानमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद मार्क कार्नी ने अपनी विदेश नीति का लक्ष्य बताते हुए कहा कि वह इसका उपयोग कनाडा के आर्थिक हितों की रक्षा के लिए करेंगे। कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद ने भी कहा कि भारत और कनाडा के बीच संबंधों को चरणबद्ध तरीके से सामान्य बनाया जाएगा। यह सब माहौल तैयार होने के बाद ही कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने पिछले सप्ताह फोन पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कनाडा में आयोजित होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने का निमंत्रण दिया, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने स्वीकार कर लिया।

प्रधानमंत्री कार्नी ने बेबाकी से कहा कि जी-7 देश दुनिया के विकासशील देशों के साथ अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं, ताकि ऊर्जा, पर्यावरण और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंडे को लागू किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की भागीदारी के बिना यह पूरा एजेंडा निरर्थक हो जाता।

कनाडा की राजनीतिक स्थिति को देखते हुए, कनाडा के प्रधानमंत्री का यह कदम साहसिक और दूरदर्शी है, क्योंकि कनाडा में उनकी बहुमत वाली सरकार नहीं है और कनाडा में कट्टरपंथी सिखों का एक मुखर गुट इस निमंत्रण का विरोध कर रहा था। जब प्रधानमंत्री कार्नी और प्रधानमंत्री मोदी जी-7 के दौरान द्विपक्षीय वार्ता करेंगे, तो उन्हें कई मुद्दों पर विशेष ध्यान देना चाहिए, जिनमें से पहला है दोनों देशों में उच्चायुक्तों की नियुक्ति। यह एक महत्वपूर्ण पहल होगी क्योंकि उच्चायुक्त दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है। एक बुद्धिमान उच्चायुक्त दोनों देशों के बीच संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में अच्छी भूमिका निभा सकता है।

कनाडा और भारत के बीच रुकी हुई द्विपक्षीय व्यापार वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए आपसी सहमति पर पहुंचने की जरूरत है क्योंकि कनाडा भी अमरीका पर अपनी निर्भरता कम करने की प्रक्रिया में है और भारत पहले ही ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौते को अंतिम रूप दे चुका है तथा अमरीका के साथ किसी भी समय व्यापार समझौता हो सकता है। यहां एक बड़ा भारतीय समुदाय है जो भारत और कनाडा के बीच सेतु का काम करता है और यदि द्विपक्षीय वार्ता में इस समुदाय और इसके सामने आने वाली समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो यह वार्ता अधूरी मानी जाएगी। दोनों सरकारों को भारतीय वाणिज्य दूतावास सेवाओं में भारतीय समुदाय के सामने आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए तथा भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारतीय वाणिज्य दूतावास सेवाओं तक पहुंचने में आ रही बाधाओं को दूर किया को दूर किया जाए तथा कनाडा सरकार के कर्मचारी भारतीय मूल के कनाडाई व्यक्तियों को भारतीय वीजा न मिलने की शिकायत का समाधान करें क्योंकि वीजा प्राप्त करने में आने वाली कठिनाइयों के कारण भारत और कनाडा के बीच सामाजिक संबंधों को नुकसान पहुंच रहा है।

भारत और कनाडा दोनों राष्ट्रमंडल लोकतंत्र हैं, अंग्रेजी भाषा और कई अन्य समान विरासतें सांझा करते हैं। कनाडा भारत में नए बाजारों की तलाश कर रहा है और भारत कनाडा के प्राकृतिक गैस और खनिजों के विशाल भंडार से लाभ उठा सकता है।
भारत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से कनाडा से नई प्रौद्योगिकियां भी हासिल कर सकता है। इसके अलावा सुरक्षा क्षेत्र में आने वाली समस्याओं का समाधान सुरक्षा एजेंसियों पर छोड़ देना चाहिए तथा दोनों देशों को आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में अपने सहयोग को आगे बढ़ाना चाहिए। इसी परिप्रेक्ष्य में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कनाडा यात्रा हो रही है, जिसे लेकर सम्पूर्ण भारतीय समुदाय में काफी उत्साह है तथा कनाडाई भारतीय समुदाय विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बड़े उत्साह के साथ स्वागत करेगा।

मनिंदर सिंह गिल

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