Edited By Shubham Anand,Updated: 30 Dec, 2025 08:48 PM

यमन के मुकल्ला बंदरगाह पर सऊदी अरब के हवाई हमले ने यूएई (UAE) के साथ तनाव को चरम पर पहुँचा दिया है। सऊदी गठबंधन का दावा है कि उसने यूएई से आई हथियारों की खेप को नष्ट किया है, जो अलगाववादी संगठन (STC) के लिए थी। यूएई ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।...
इंटरनेशनल डेस्क : सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच यमन को लेकर तनाव और गहराता जा रहा है। मंगलवार को सऊदी अरब ने यमन के बंदरगाह शहर मुकल्ला पर हवाई हमला किया। सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन का दावा है कि यह कार्रवाई वहां पहुंची हथियारों की एक खेप को नष्ट करने के लिए की गई, जो कथित तौर पर यूएई से आई थी और यमन के दक्षिणी हिस्से में सक्रिय एक अलगाववादी संगठन को सौंपी जानी थी। हालांकि, यूएई ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है।
यूएई ने आरोपों से किया इनकार
संयुक्त अरब अमीरात ने सऊदी अरब के दावों को सिरे से नकारते हुए कहा है कि नष्ट की गई खेप में कोई हथियार शामिल नहीं थे। यूएई का कहना है कि उस पर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं। इस हमले को सऊदी अरब और साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC) के बीच बढ़ते तनाव का संकेत माना जा रहा है। यह संगठन यूएई समर्थित है और यमन के दक्षिणी इलाकों में सक्रिय भूमिका निभाता रहा है।
इस घटनाक्रम से रियाद और अबू धाबी के रिश्तों में भी खटास आने के संकेत मिल रहे हैं। दोनों देश यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई में शामिल हैं, लेकिन वे अलग-अलग गुटों का समर्थन कर रहे हैं, जिससे आपसी मतभेद गहराते जा रहे हैं।
‘24 घंटे में सेना वापस बुलाए यूएई’
सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन ने कहा है कि मुकल्ला बंदरगाह पर किया गया हमला राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत उठाया गया एक जरूरी कदम था। गठबंधन के मुताबिक, इस हमले में किसी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है। हमले के बाद सऊदी अरब ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए चेतावनी भी जारी की है। इस बीच, यमन की सऊदी समर्थित राष्ट्रपति परिषद के प्रमुख ने यूएई से 24 घंटे के भीतर अपने सैन्य बलों को यमन से वापस बुलाने की मांग की है। यह बयान क्षेत्र में तनाव को और बढ़ाने वाला माना जा रहा है।
जहाजों को लेकर सऊदी गठबंधन का दावा
सऊदी गठबंधन का दावा है कि जिन दो जहाजों को निशाना बनाया गया, वे यूएई के फुजैराह बंदरगाह से रवाना हुए थे। इस पूरे घटनाक्रम को लाल सागर क्षेत्र में पहले से मौजूद अस्थिरता के बीच एक बड़े कूटनीतिक टकराव के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हालात जल्द नहीं संभले, तो इसका असर न सिर्फ यमन संकट पर बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता पर भी पड़ सकता है।