क्या सोने में निवेश करने का सही समय है

Edited By ,Updated: 29 Jan, 2023 04:48 AM

is it the right time to invest in gold

सोना एक ऐसी वस्तु है जिसमें पिछले 10 वर्षों में लगभग 88 प्रतिशत की वृद्धि के साथ साल-दर-साल मूल्य में निरंतर वृद्धि हुई है। आने वाले वर्षों में इसकी कीमतें बढऩे की उम्मीद है। मंगलवार को भारत में सोने की कीमत 57,332 रुपए प्रति 10 ग्राम (999 किस्म) के...

सोना एक ऐसी वस्तु है जिसमें पिछले 10 वर्षों में लगभग 88 प्रतिशत की वृद्धि के साथ साल-दर-साल मूल्य में निरंतर वृद्धि हुई है। आने वाले वर्षों में इसकी कीमतें बढऩे की उम्मीद है। मंगलवार को भारत में सोने की कीमत 57,332 रुपए प्रति 10 ग्राम (999 किस्म) के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई। पिछले वर्ष अक्तूबर में लगभग 50 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम से सोने की कीमत में लगभग 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 

क्यों बढ़ रहे हैं सोने के दाम: जबकि कीमतें 2022 के पहले 10 महीनों में 48,000 रुपए से 52,000 रुपए प्रति 10 ग्राम की सीमा में चली गईं, पिछले 3 महीने में कुछ विकसित बाजारों में मंदी की बढ़ती आशंकाओं और गिरावट के साथ स्पष्ट रूप से ऊपर की ओर रुझान देखा गया है। कई लोग उम्मीद करते हैं कि अमरीकी फैडरल रिजर्व 2023 में भी दर में कटौती कर सकता है। एक विचार है कि सोने की मांग बढ़ेगी क्योंकि लोग मंदी के समय इसकी ओर रुख करेंगे। जियोजीत फाइनांशियल सर्विसेज में कमोडिटी रिसर्च के प्रमुख हरीश वी. नायर के अनुसार भारतमें इन वैश्विक कारकों के अलावा उच्च घरेलू मांग और डालर के मुकाबले रुपए में गिरावट के कारण कीमतें बढ़ी हैं। भारतीय बाजार में सोने की मजबूत मांग है। 

कोविड काल में जहां लोग अपनी सोने के प्रति मांग को टाल रहे थे वहीं पिछले 6 महीनों में यह मांग अच्छी रही है। इसके अलावा डालर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने से भारत में सोने की कीमत बढ़ जाती है। हमने देखा है कि जैसे-जैसे कीमतें बढ़ती हैं, सोने की मांग और बढ़ती है क्योंकि लोग दरों में और बढ़ौतरी की उम्मीद करते हैं। 

क्या महंगाई जारी रहेगी?: आर्थिक और अन्य भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच सोने की कीमतों के लिए व्यापक रुझान सकारात्मक है। इसके अलावा ऐसे समय में जब फिक्स्ड डिपॉजिट महंगाई रिटर्न में कम कमा रहे हैं और इक्विटी में उतार-चढ़ाव हो रहा है, कई निवेशक सोने की महंगाई के खिलाफ बचाव के रूप में देखते हैं। निवेशकों के पास मौजूदा बाजार मूल्य पर 56,296 करोड़ रुपए के 98.21 टन आर.बी.आई. के सॉवरेन गोल्ड बांड है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया के आंकड़ों के अनुसार उनके पास म्युचुअल फंड्स के गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडिड फंड्स (ई.टी.एफ.) में 21,455 करोड़ रुपए भी हैं (दिसम्बर 2022 तक)। 

निवेशकों को क्या करना चाहिए?: विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशकों को अपने ऐसट एलोकेशन के अनुसार सोने में निवेश करते रहना चाहिए और गोल्ड ई.टी.एफ. और सॉवरेन गोल्ड बांड के लिएलम्बी अवधि के लिए गिरावट पर खरीदारी करनी चाहिए। विशेषज्ञों की राय है कि जब तक सोने को आभूषण के रूप में उपयोग के लिए नहीं खरीदा जाता तब तक निवेश कागज के रूप में होना चाहिए क्योंकि यह सस्ता है और भंडारण के जोखिम को दूर करता है। जबकि गोल्ड ई.टी.एफ. ओपन एडिड फंड है जो निवेशकों को सोने को भौतिक रूप से धारण किए बिना निवेश करने की अनुमति देता है। कई लोग आर.बी.आई. के गोल्ड बांड पसंद करते हैं क्योंकि यह 2.50 प्रतिशत की वार्षिक ब्याज दर भी देते हैं। वित्तीय योजनाकारों का कहना है कि कुल पोर्टफोलियो में सोने की हिस्सेदारी 5 से 10 फीसदी होनी चाहिए। यहां तक कि आर.बी.आई. के पास 785.35 मीट्रिक टन सोना है जो सितम्बर 2022 तक उसके विदेशी मुद्रा पोर्टफोलियो का 7.07 प्रतिशत है। 

भारत में सोने की मांग कैसी है?: वल्र्ड गोल्ड कौंसिल की रिपोर्ट के अनुसार भारत में मध्यम वर्ग के आकार को देखते हुए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि सोने की 50 प्रतिशत मांग यहीं से शुरू होती है। भारत में इसकी विशाल आबादी के साथ सोना और विशेष रूप से सोने के आभूषण एक केंद्रीय भूमिका अदा करते हैं जो अलंकरण और निवेश दोनों के रूप में कार्य करते हैं। वास्तव में दशकों तक 2009 में चीन से आगे निकलने से पहले भारत सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता था। 2021 में भारत ने 611 टन सोने के आभूषण खरीदे जो चीन (673 टन) के बाद दूसरे स्थान पर है लेकिन सोने की खपत करने वाले अन्य सभी बाजारों से आगे है। वल्र्ड गोल्ड कौंसिल के भारत के क्षेत्रीय सी.ई.ओ. सोमसुंदरम पी.आर. ने कहा, ‘‘सोने के आभूषणों के दूसरे सबसे बड़े उपभोक्ता के रूप में भारत वैश्विक स्वर्ण बाजारों के समर्थन का एक मजबूत स्तंभ है।’’-संदीप सिंह/जॉर्ज मैथ्यू

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