भारतीय नेता अमरीका में आप्रवासी भारतीयों को क्यों लुभाते हैं

Edited By ,Updated: 06 Jun, 2023 04:36 AM

why indians woo the diaspora in america

भारतीय राजनेता अमरीका और अन्य जगहों पर आप्रवासी भारतीयों को क्यों इतना लुभाते हैं? आप्रवासी भारतीय जोकि भारत में मतदान नहीं कर सकते, अपनी मातृभूमि में रुचि क्यों लेते हैं? ऐसा शायद इसलिए है, क्योंकि भारत की जी.डी.पी. बढ़ती है और भारत की विदेश नीति...

भारतीय राजनेता अमरीका और अन्य जगहों पर आप्रवासी भारतीयों को क्यों इतना लुभाते हैं? आप्रवासी भारतीय जोकि भारत में मतदान नहीं कर सकते, अपनी मातृभूमि में रुचि क्यों लेते हैं? ऐसा शायद इसलिए है, क्योंकि भारत की जी.डी.पी. बढ़ती है और भारत की विदेश नीति में आप्रवासी भारतीयों की भूमिका भी बढ़ती है। कई विकसित देशों में 32 मिलियन मजबूत वैश्विक भारतीय आप्रवासी सबसे धनी अल्पसंख्यकों में से एक के रूप में उभरे हैं। प्रत्येक वर्ष 2.5 मिलियन भारतीय (उच्चतम वार्षिक संख्या) दूसरे देशों में प्रवास करते हैं। संचयी एन.आर.आई. जमा राशि फरवरी 2023 तक 136 बिलियन अमरीकी डॉलर है। 

अमरीकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, राष्ट्रपति पद की दावेदार निक्की हैली और विवेक रामास्वामी जैसे भारतीय अमरीकी तेजी से महत्वपूर्ण राजनीतिक भूमिका निभा रहे हैं। भारतीय मूल के ऋषि सुनक अब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री हैं। कार्पोरेट जगत में सत्य नडेला (माइक्रोसॉफ्ट), सुंदर पिचाई (गूगल) और शांतनू नारायण (एडॉब) अब विशाल अमरीकी बहुराष्ट्रीय निगमों के प्रमुख हैं। अजय बंगा हाल ही में विश्व बैंक के अध्यक्ष बने हैं। 

भाजपा ने आप्रवासी भारतीयों के महत्व को बहुत पहले ही समझ लिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आक्रामक तरीके से उन्हें रिझा चुके हैं। दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नियमित अमरीकी दूत के अलावा एक भारतीय को बड़े पैमाने पर राजदूत के रूप में नियुक्त किया। हालांकि उन्हें वापस ले लिया गया क्योंकि अमरीकी सरकार ने उन्हें मान्यता नहीं दी थी। 

दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस पार्टी ने आप्रवासी भारतीयों को गम्भीरता से नहीं लिया। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि आजादी के बाद से ग्रैंड ओल्ड पार्टी ने 59 साल तक देश पर शासन किया। इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी को अपनी अंतर्राष्ट्रीय छवि के लिए इस कवायद की जरूरत ही नहीं पड़ी। अप्रत्याशित रूप से राहुल गांधी 2017 के अपने सफल अमरीकी दौरे के बाद से उन तक पहुंच बना रहे हैं। मार्च में उनकी यू.के. और इस सप्ताह अमरीका की यात्रा उस छवि निर्माण प्रक्रिया का हिस्सा है। 

सेम पित्रोदा के नेतृत्व वाली निष्क्रय पड़ी ओवरसीज कांग्रेस सक्रिय हो गई है। राहुल ने इस साल की शुरूआत में अपनी सफल ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद अपनी छवि को और भी बेहतर बनाया है। इसके साथ ही कांग्रेस की झोली में कर्नाटक में हाल ही की भारी जीत भी शामिल थी। कांग्रेस ने महसूस किया कि 2024 के चुनावों से पूर्व आप्रवासी भारतीयों को गम्भीरता से लेना चाहिए। मोदी की आधिकारिक यात्रा से 3 सप्ताह पहले राहुल गांधी ने अमरीका का दौरा किया। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन व्हाइट हाऊस में प्रधानमंत्री की मेजबानी करेंगे। शोमैन होने के नाते मोदी सुर्खियों में आ जाएंगे। अपने दूसरे कार्यकाल की समाप्ति से पहले यह उनकी अंतिम यात्रा होगी। 

मोदी ने 2014 में न्यूयार्क में अपनी मैडिसन स्क्वायर गार्डन बैठक और 2019 में ह्यूस्टन ने अपनी ‘हाऊडी मोदी रैली’ के साथ पिछले 9 वर्षों से आप्रवासी भारतीयों को लुभाया है। उन्होंने 3 अमरीकी राष्ट्रपतियों ओबामा, ट्रम्प और बाइडेन के साथ पहले नाम का आधार विकसित किया। राहुल ने विभिन्न बैठकों में छात्रों, शिक्षाविदों, कांग्रेसियों और बुद्धिजीवियों के साथ एक नई बातचीत शुरू करने की कोशिश की। आत्मविश्वास से लबरेज और खुशमिजाज दिखाई देने के साथ राहुल ने मोदी और उनकी सरकार का मजाक उड़ाया। राहुल ने आप्रवासी भारतीयों की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘‘तो अमरीका में भारतीय ध्वज को फहराने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। 

कैलीफोर्निया, न्यूयार्क और वाशिंगटन में उनकी बैठकों का जोर रहा है। वहां पर उनमें एक छिपी हुई अंतर्धारा थी। उन्होंने कहा, ‘‘एक मिनट के लिए मुझे नहीं लगता कि भाजपा को हराया जा सकता है।’’ वाशिंगटन में नैशनल प्रैस क्लब की बैठक में राहुल गांधी ने आने वाले चुनावों में अपनी पार्टी की मजबूत वापसी की उम्मीद जताई। गांधी ने चीन और रूस के साथ भारत के संबंधों के बारे में बातचीत की। 

राहुल ने मैनहट्टन में जैकब जेविट्स सैंटर में एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘लोगों के लिए बुरा होना, अहंकारी होना,हिंसक होना, यह सब भारतीय मूल्य नहीं हैं।’’ उन्होंने अमरीका और स्वदेश में भारतीयों से लोकतंत्र और भारतीय संविधान के लिए खड़े होने का आह्वान किया। न्यूयार्क में दुनिया के सबसे व्यस्त और सबसे प्रसिद्ध चौराहों में से एक टाइम्स स्क्वायर बिल बोर्ड पर उनकी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को प्रदर्शित किया गया। एक राजनेता, जो अब संसद सदस्य नहीं है, इंडियन ओवरसीज कांग्रेस ने उनके कार्यक्रमों के लिए पर्याप्त भीड़ जुटाई। 

भाजपा विदेश में मोदी की राहुल गांधी द्वारा की गई आलोचना से खिन्न है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर विदेशी धरती पर उनकी टिप्पणियों के आलोचक थे। इससे पहले भी यू.के. की अपनी मार्च यात्रा के दौरान कई भाजपा मंत्रियों ने राहुल गांधी से भारत पर कीचड़ उछालने के लिए माफी की मांग की। राहुल के अमरीकी दौरे से कांग्रेस खुश है लेकिन उन्हें मोदी को कोसने से ज्यादा कुछ करने की जरूरत है। उन्हें अपने व्यवहार और बोलचाल में कोई सुधार करने की जरूरत है लेकिन राहुल को भारत के लिए अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए और भारतीय मतदाताओं के लिए रोजी-रोटी के मुद्दे के बारे में संबोधित करना चाहिए।-कल्याणी शंकर
 

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