Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Jul, 2025 05:19 PM

पिछले पांच वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) ने ग्राहकों से लगभग ₹8,933 करोड़ का जुर्माना केवल इसलिए वसूला क्योंकि वे अपने खातों में न्यूनतम औसत बैलेंस (MAB) बनाए रखने में विफल रहे। यह जानकारी केंद्र सरकार ने संसद में साझा की है।
बिजनेस डेस्कः पिछले पांच वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) ने ग्राहकों से लगभग ₹8,933 करोड़ का जुर्माना केवल इसलिए वसूला क्योंकि वे अपने खातों में न्यूनतम औसत बैलेंस (MAB) बनाए रखने में विफल रहे। यह जानकारी केंद्र सरकार ने संसद में साझा की है।
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) तो मार्च 2020 से ही ये जुर्माना नहीं ले रहा है लेकिन बाकी कई बड़े सरकारी बैंक फाइन लगा रहे हैं। इन बैंकों में इंडियन बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया तक शामिल रहे हैं। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने भी हाल ही में यह चार्ज माफ कर दिया है। बैंकों का कहना है कि ये कदम ग्राहकों को राहत देने और हर किसी के लिए बैंकिंग सेवाओं को समान रूप से उपलब्ध कराने के लिए उठाया गया है।
कब और कितना जुर्माना वसूला गया?
2020-21 से लेकर 2024-25 की अवधि में बैंकों ने यह राशि वसूली। शुरुआती साल यानी 2020-21 में ₹1,142 करोड़ वसूले गए थे, जो 2023-24 में बढ़कर ₹2,331 करोड़ तक पहुंच गए। हालांकि, 2024-25 में इसमें थोड़ी गिरावट दर्ज हुई और यह ₹2,175 करोड़ रहा।
सबसे अधिक जुर्माना वसूलने वाले बैंक
| बैंक का नाम |
वसूली गई राशि (₹ करोड़ में) |
| इंडियन बैंक |
1,828.18 |
| पंजाब नेशनल बैंक |
1,662.42 |
| बैंक ऑफ बड़ौदा |
1,531.62 |
| केनरा बैंक |
1,212.92 |
| बैंक ऑफ इंडिया |
809.66 |
| सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया |
585.36 |
| बैंक ऑफ महाराष्ट्र |
535.20 |
| यूनियन बैंक ऑफ इंडिया |
484.75 |
| यूको बैंक |
119.91 |
| पंजाब एंड सिंध बैंक |
100.92 |
| इंडियन ओवरसीज बैंक |
62.04 |
सरकार की बैंकों को सलाह
सरकार ने बैंकों को सुझाव दिया है कि वे ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों के ग्राहकों को इस शुल्क से राहत दें या इसे पूरी तरह समाप्त करें। इसका उद्देश्य बैंकिंग सेवाओं को अधिक समावेशी और सुलभ बनाना है।