मार्च 2023 तक बैंकों का फंसा हुआ कर्ज 5.3% पर आने की उम्मीद: RBI

Edited By jyoti choudhary,Updated: 01 Jul, 2022 01:58 PM

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने संभावना जताई है कि मार्च 2023 तक कुल ऋण पर बैंकों का फंसा हुआ कर्ज घटकर 5.3 प्रतिशत रह जाएगा। आरबीआई ने कहा कि ऋण में वृद्धि और गैर-निष्पादित परसंपत्तियों (एनपीए) के हिस्से में कमी आने से फंसे हुए कर्ज की दर छह साल के...

मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने संभावना जताई है कि मार्च 2023 तक कुल ऋण पर बैंकों का फंसा हुआ कर्ज घटकर 5.3 प्रतिशत रह जाएगा। आरबीआई ने कहा कि ऋण में वृद्धि और गैर-निष्पादित परसंपत्तियों (एनपीए) के हिस्से में कमी आने से फंसे हुए कर्ज की दर छह साल के निचले स्तर पर आ जाएगी। 

हालांकि उसने आगाह भी किया है कि अगर व्यापक स्तर पर आर्थिक माहौल बिगड़ता है तो खराब ऋणों या फंसे हुए कर्जों का अनुपात बढ़ सकता है। बैंकों का सकल एनपीए मार्च, 2022 में घटकर छह साल के सबसे निचले स्तर 5.9 प्रतिशत पर आ गया था। वहीं, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल एनपीए मार्च, 2021 में 7.4 प्रतिशत पर था। केंद्रीय बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘नियामक की तरफ से भविष्य में किसी भी तरह की राहत की कोई गुंजाइश नहीं है। ऐसे में अनुसूचित बैंकों का सकल एनपीए सुधरकर मार्च, 2023 तक 5.3 प्रतिशत पर आ सकता है, जो मार्च 2022 में 5.9 प्रतिशत था। इसकी वजह बैंक ऋण में वृद्धि और एनपीए के स्टॉक में गिरावट के रुझान समेत अन्य कारक हैं।'' 

आरबीआई ने बृहस्पतिवार को जारी अपनी 25वीं वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) में कहा कि व्यापक पैमाने पर स्थिति के बिगड़ने पर बैंकों का सकल एनपीए 6.2 प्रतिशत से बढ़कर 8.3 प्रतिशत तक भी पहुंच सकता है। केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘बैंक के समूह स्तर पर भी सकल एनपीए अनुपात मार्च 2023 तक कम हो सकता है।'' रिपोर्ट में बैंकों के ऋण को लेकर कहा गया कि बैंक ऋण की गहरी रूपरेखा से संकेत मिलता है कि अधिकांश पुनरुद्धार 2021-22 की दूसरी छमाही में हुआ था और यह सिलसिला चालू वित्त वर्ष में भी जारी है।

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