Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Oct, 2025 11:57 AM

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड निवेशकों को बड़ी राहत दी है। नए नियमों के तहत अब म्यूचुअल फंड यूनिट्स को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को ट्रांसफर करने के लिए डीमैट अकाउंट की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। यह बदलाव उन करोड़ों...
बिजनेस डेस्कः भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड निवेशकों को बड़ी राहत दी है। नए नियमों के तहत अब म्यूचुअल फंड यूनिट्स को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को ट्रांसफर करने के लिए डीमैट अकाउंट की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। यह बदलाव उन करोड़ों निवेशकों के लिए बड़ी सहूलियत लाएगा जो अपनी म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स को ‘स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट’ (SoA) यानी नॉन-डीमैट मोड में रखते हैं। सेबी का यह कदम निवेशकों के लिए प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक अहम सुधार माना जा रहा है।
क्यों जरूरी था बदलाव?
इस फैसले के बाद निवेशकों के लिए अपने परिवार के सदस्यों को यूनिट्स उपहार में देना, किसी करीबी का नाम जोड़ना या कानूनी उत्तराधिकार से जुड़े मामलों को निपटाना पहले की तुलना में कहीं आसान हो जाएगा। पहले यह प्रक्रिया केवल डीमैट अकाउंट वाले निवेशकों के लिए संभव थी, जिससे बड़ी संख्या में नॉन-डीमैट निवेशकों को असुविधा होती थी। सेबी का कहना है कि यह बदलाव निवेशकों की वास्तविक जरूरतों को ध्यान में रखकर किया गया है, ताकि निवेश को पारिवारिक वित्तीय योजना के अनुरूप आसानी से ट्रांसफर किया जा सके।
किन योजनाओं पर लागू होगा नियम?
नया नियम अधिकांश म्यूचुअल फंड योजनाओं पर लागू होगा लेकिन इसमें दो अपवाद रखे गए हैं। पहला, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs) पर यह नियम लागू नहीं होगा क्योंकि उनकी खरीद-बिक्री स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से होती है। दूसरा, सॉल्यूशन-ओरिएंटेड स्कीम्स जैसे चिल्ड्रन्स फंड या रिटायरमेंट फंड पर भी यह सुविधा नहीं दी जाएगी, क्योंकि इन योजनाओं में लॉक-इन अवधि और आयु आधारित शर्तें होती हैं। ‘स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट’ मोड में यूनिट रखने वाले सभी निवासी और अनिवासी भारतीय (NRI) इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे, हालांकि किसी नाबालिग के फोलियो से यूनिट्स ट्रांसफर करने की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा, किसी निवासी भारतीय द्वारा एनआरआई को यूनिट्स ट्रांसफर करना भी नियमों के तहत प्रतिबंधित रहेगा।
अब घर बैठे पूरी होगी ट्रांसफर प्रक्रिया
सेबी ने इस पूरी प्रक्रिया को डिजिटल और सुरक्षित बना दिया है। निवेशकों को अब यूनिट्स ट्रांसफर करने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं होगी। यह काम वे रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट्स (RTAs) जैसे CAMS, KFintech या MF सेंट्रल की वेबसाइट के माध्यम से घर बैठे ही कर सकेंगे। निवेशक को अपने पैन (PAN) नंबर का उपयोग कर लॉग-इन करना होगा, फिर संबंधित स्कीम और ट्रांसफर प्राप्तकर्ता का विवरण दर्ज करना होगा। सभी यूनिटधारकों की सहमति एक बार उपयोग किए जाने वाले पासवर्ड (OTP) के माध्यम से ली जाएगी, और यह प्रक्रिया फर्स्ट-इन, फर्स्ट-आउट (FIFO) आधार पर पूरी की जाएगी।
ट्रांसफर से पहले ध्यान देने योग्य बातें
हालांकि, इस सुविधा का लाभ लेने से पहले कुछ शर्तों का पालन अनिवार्य है। ट्रांसफर की जा रही यूनिट्स किसी भी तरह के लॉक-इन, लियन या फ्रीज़ में नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही, ट्रांसफर करने वाले और पाने वाले दोनों के पास एक ही म्यूचुअल फंड हाउस में वैध फोलियो होना जरूरी है। अगर ट्रांसफर पाने वाले व्यक्ति के पास पहले से फोलियो नहीं है, तो उसे पहले एक ‘जीरो बैलेंस फोलियो’ खुलवाना होगा। दोनों पक्षों का केवाईसी (KYC) भी पूरी तरह से सत्यापित होना आवश्यक है।
ट्रांसफर पूरी होने के बाद निवेशक तुरंत यूनिट्स को बेच नहीं सकेंगे। सेबी ने 10 दिनों का कूलिंग-ऑफ पीरियड रखा है, जिसके दौरान इन यूनिट्स को रिडीम या स्विच नहीं किया जा सकेगा। यह कदम किसी भी जल्दबाजी या संभावित दुरुपयोग को रोकने के लिए उठाया गया है। सेबी का मानना है कि यह बदलाव म्यूचुअल फंड उद्योग में निवेशक-अनुकूल सुधारों की दिशा में एक और बड़ा कदम है, जो पारदर्शिता और सुविधा दोनों को मजबूत करेगा।