तेल की कीमतों में तीन साल की सबसे बड़ी छलांग, भारत समेत दुनिया के लिए 5 बड़े खतरे!

Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Jun, 2025 11:05 AM

biggest jump in oil prices in three years 5 big dangers

ईरान और इज़राइल के बीच जारी तनाव ने वैश्विक ऊर्जा बाजारों को झकझोर कर रख दिया है। बीते दिनों कच्चे तेल की कीमतों में एक ही दिन में बीते तीन वर्षों की सबसे बड़ी बढ़त दर्ज की गई। दोनों देशों के बीच मिसाइल हमले तेज हो गए हैं और हालात जल्द शांत होने की...

बिजनेस डेस्कः ईरान और इज़राइल के बीच जारी तनाव ने वैश्विक ऊर्जा बाजारों को झकझोर कर रख दिया है। बीते दिनों कच्चे तेल की कीमतों में एक ही दिन में बीते तीन वर्षों की सबसे बड़ी बढ़त दर्ज की गई। दोनों देशों के बीच मिसाइल हमले तेज हो गए हैं और हालात जल्द शांत होने की उम्मीद नहीं दिख रही।

तेल की कीमतों में उछाल ने भारत समेत कई तेल आयातक देशों के लिए गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। जानिए इस संघर्ष का वैश्विक आपूर्ति पर क्या असर पड़ा है और भारत किस तरह प्रभावित हो सकता है – 5 प्रमुख बिंदुओं में:

1. तेल आपूर्ति पर खतरा मंडराया

अगर ईरान पर इजराइल और अमेरिका का दबाव बढ़ता है तो वह तेल की आपूर्ति रोक सकता है। खाड़ी क्षेत्र के अन्य उत्पादक देशों की तेल साइट्स भी ईरानी मिसाइलों की रेंज में हैं। इससे सप्लाई ठप हो सकती है और कीमतों में अप्रत्याशित तेजी आ सकती है, जिसका असर भारत पर भी होगा।

2. ईरान से शिपमेंट में गिरावट

ईरान वैश्विक क्रूड ऑयल आपूर्ति में लगभग 2% का योगदान देता है। खरग द्वीप के ज़रिए ईरान का 90% तेल निर्यात होता है लेकिन हालिया सैटेलाइट इमेज से शिपमेंट में गिरावट सामने आई है। वहीं, होर्मुज जलडमरूमध्य – जहां से 20% वैश्विक तेल आता-जाता है – अभी चालू है लेकिन खतरा मंडरा रहा है।

3.सऊदी अरब बन सकता है विकल्प

तेल संकट की स्थिति में दुनिया की उम्मीदें सऊदी अरब और यूएई पर टिकी होंगी। दोनों मिलकर 30-40 लाख बैरल अतिरिक्त उत्पादन कर सकते हैं। सऊदी अरब पहले ही 12.7 मिलियन बैरल प्रतिदिन उत्पादन कर रहा है और इसके पास दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल भंडार है।

4. भारत को झेलना पड़ सकता है बड़ा झटका

भारत अपनी तेल जरूरतों का 85-88% आयात करता है, मुख्य रूप से इराक, सऊदी अरब, रूस और यूएई से। यदि होर्मुज मार्ग बाधित होता है तो न केवल आयात बिल बढ़ेगा, बल्कि चालू खाता घाटा (CAD) और महंगाई में भी इजाफा हो सकता है। ICRA के अनुसार, कच्चे तेल की कीमत में प्रति बैरल $10 की वृद्धि से भारत का आयात बिल 13-14 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है। इससे निजी निवेश और आर्थिक स्थिरता पर भी असर पड़ सकता है।

5. होर्मुज पर खतरा, सप्लाई चेन पर असर

अगर हालात युद्ध में बदलते हैं तो ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है, जो दुनिया की एक-तिहाई तेल और 20% नेचुरल गैस का रूट है। इससे कच्चे तेल की कीमत में 20% तक उछाल आ सकता है। भारत के कुल तेल आयात का लगभग 45-50% इसी रास्ते से आता है।
 

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