चीन पर घटेगी निर्भरता! रेयर अर्थ मैग्नेट में आत्मनिर्भरता की ओर भारत की बड़ी पहल

Edited By Updated: 11 Oct, 2025 12:26 PM

dependence on china will decrease with a 7 350 crore government plan

भारत सरकार जल्द ही एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू करने जा रही है, जिससे देश में रेयर अर्थ मैग्नेट (REPM) का उत्पादन बढ़ेगा और चीन पर निर्भरता कम होगी। इस योजना की कुल लागत 7,350 करोड़ रुपए है और इसका लक्ष्य है कि सात साल में 6,000 टन प्रति वर्ष उत्पादन...

बिजनेस डेस्कः भारत सरकार जल्द ही एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू करने जा रही है, जिससे देश में रेयर अर्थ मैग्नेट (REPM) का उत्पादन बढ़ेगा और चीन पर निर्भरता कम होगी। इस योजना की कुल लागत 7,350 करोड़ रुपए है और इसका लक्ष्य है कि सात साल में 6,000 टन प्रति वर्ष उत्पादन क्षमता वाला स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम तैयार हो।

क्यों जरूरी है यह योजना

भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर रेयर अर्थ मैग्नेट आयात करता है। हाल ही में चीन ने अप्रैल में इनके निर्यात पर रोक लगा दी, जिससे भारत के ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और रिन्यूएबल एनर्जी उद्योग को नुकसान हुआ।

पांच मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को मिलेगा समर्थन

इस योजना के तहत नियोडिमियम-प्रैसेओडिमियम (NdPr) ऑक्साइड से लेकर नियोडिमियम-आयरन-बोरोन (NdFeB) मैग्नेट तक का उत्पादन किया जाएगा। ये मैग्नेट इलेक्ट्रिक वाहनों, रिन्यूएबल एनर्जी और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए अत्यंत जरूरी हैं।

  • हर साल 1,200 टन क्षमता वाली पांच यूनिट्स को सरकार से समर्थन मिलेगा।
  • कंपनियां 600–1,200 टन क्षमता के लिए आवेदन कर सकेंगी।
  • भारत में वर्तमान में सालाना 4,010 टन की मांग है, जो 2030 तक 8,220 टन तक बढ़ सकती है।

आर्थिक मदद और इंसेंटिव

चयनित कंपनियों को दो तरह की मदद दी जाएगी:

  • सेल्स आधारित इंसेंटिव – जितना बेचेंगे, उतनी मदद।
  • कैपिटल सब्सिडी – 1 अप्रैल 2025 के बाद किए गए निवेश पर 15% तक की सब्सिडी।

सरकार ग्लोबल टेंडर के जरिए कंपनियों का चयन करेगी। टेंडर में कंपनियों को बताना होगा कि उन्हें प्रति किलोग्राम कितना इंसेंटिव चाहिए लेकिन यह 2,150 रुपए प्रति किलोग्राम से ज्यादा नहीं हो सकता।

चुनौतियां और आत्मनिर्भरता

भारत में इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL) सालाना सिर्फ 500 टन NdPr ऑक्साइड बनाता है, जिससे 1,500 टन मैग्नेट का उत्पादन संभव है।

  • टेंडर में पहले तीन विजेता (L1–L3) को IREL से कच्चा माल मिलेगा।
  • बाकी दो विजेताओं (L4–L5) को खुद कच्चा माल जुटाना होगा।
  • हालांकि, सरकार का मानना है कि यह योजना भारत को स्वदेशी और आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी।

निगरानी और महत्व

इस योजना की निगरानी के लिए एक विशेष कमेटी बनाई जाएगी, जिसका नेतृत्व भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव करेंगे। यह कदम भारत के लिए अहम है, क्योंकि रेयर अर्थ मैग्नेट इलेक्ट्रिक वाहनों और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे भविष्य के उद्योगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इससे न केवल चीन पर निर्भरता घटेगी, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को भी नई ताकत मिलेगी।
 

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