Edited By Supreet Kaur,Updated: 10 Oct, 2019 01:38 PM
पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक यानी पीएमसी बैंक घोटाला मामले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बड़ा बयान आया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुंबई में बीजेपी दफ्तर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सरकार का इस बैंक घोटाले से कोई लेना...
नई दिल्लीः पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक यानी पीएमसी बैंक घोटाला मामले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बड़ा बयान आया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुंबई में बीजेपी दफ्तर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सरकार का इस बैंक घोटाले से कोई लेना देना नहीं है। इस पूरे मामले को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया देख रहा है।
RBI अधिकारियों के साथ जल्द होगी बैठक
उन्होंने कहा कि पीएमसी बैंक मल्टी स्टेट अर्बन को ऑपरेटिव बैंक है, जिसका परिचालन आरबीआई करता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में वित्त मंत्रालय सीधे तौर पर कुछ नहीं कर सकता क्योंकि आरबीआई इस बैंक का परिचालन करता है। उन्होंने कहा कि मैं आरबीआई गवर्नर से बातचीत कर रही हूं और आज शाम एक बार फिर उनसे इस मामले में मुलाकात करूंगी। उन्होंने कहा पीएमसी बैंक मामले के समाधान के लिए हम प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले पर आरबीआई के अधिकारियों के साथ जल्द ही बैठक होगी। वहीं, बैंक के पूर्व अध्यक्ष और एचडीआईएल के दो निदेशकों की पुलिस हिरासत को 14 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया। यह मामला 4,355 करोड़ रुपए के घोटाले का है।
ग्राहकों को दिया आश्वासन
वित्त मंत्री ने गुरुवार को मुंबई में पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) के ग्राहकों से मुलाकात की और उन्हें उनके धन की सुरक्षा को लेकर आश्वासन दिया। बैंक पर लगाई गई पाबंदियों से नाराज खाताधारकों ने आज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मुंबई दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन के बीच खाताधारकों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। निर्मला ने खाताधारकों को यथा संभव मदद का आश्वासन दिया।
बैंक ने किया करोड़ों का घोटाला
पीएमसी बैंक फिलहाल रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त प्रशासक के अंतर्गत काम कर रहा है। बैंक के पूर्व प्रबंधकों की पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा जांच कर रही है। पीएमसी 11,600 करोड़ रुपए से अधिक जमा के साथ देश के शीर्ष 10 सहकारी बैंकों में से एक है। बैंक के कामकाज में अनियमितताएं और रीयल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल को दिए गए कर्ज के बारे में सही जानकारी नहीं देने को लेकर उस पर नियामकीय पाबंदी लगाई गई है। बैंक ने एचडीआईएल को अपने कुल कर्ज 8,880 करोड़ रुपए में से 6,500 करोड़ रुपए का ऋण दिया था।