Edited By jyoti choudhary,Updated: 17 Sep, 2025 03:23 PM

कम आय वाले लोगों के लिए अब कर्ज लेने का पैटर्न बदल रहा है। पहले जहां छोटे-छोटे कर्ज के लिए वे माइक्रोफाइनैंस संस्थानों (MFI) पर निर्भर रहते थे, वहीं अब तेजी से गोल्ड लोन की ओर रुख कर रहे हैं। इस बदलाव के पीछे सोने की बढ़ती कीमतें सोने के कर्ज पर कम...
बिजनेस डेस्कः कम आय वाले लोगों के लिए अब कर्ज लेने का पैटर्न बदल रहा है। पहले जहां छोटे-छोटे कर्ज के लिए वे माइक्रोफाइनैंस संस्थानों (MFI) पर निर्भर रहते थे, वहीं अब तेजी से गोल्ड लोन की ओर रुख कर रहे हैं। इस बदलाव के पीछे सोने की बढ़ती कीमतें सोने के कर्ज पर कम ब्याज दरें और नए कर्ज मंजूर करने में माइक्रोफाइनैंस संस्थानों की बढ़ी हुई सतर्कता है। रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में सोने की कीमतें 44.14% बढ़ी है।
RBI के आंकड़े बताते हैं तस्वीर
भारतीय रिज़र्व बैंक के ताज़ा डेटा के अनुसार, जून 2025 तक गोल्ड के बदले दिए गए कर्ज में 122% की सालाना वृद्धि दर्ज हुई। वहीं, इसी अवधि में माइक्रोफाइनैंस कर्ज में 16.5% की गिरावट आई।
- जुलाई 2025 तक गोल्ड लोन का बकाया ₹2.94 लाख करोड़ पहुंच गया।
- जबकि माइक्रोफाइनैंस संस्थानों का AUM घटकर ₹1.34 लाख करोड़ रह गया।
विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?
साउथ इंडियन बैंक के रिटेल हेड संजय सिन्हा के मुताबिक, “जो ग्राहक पहले बिना गारंटी वाले कर्ज लेते थे, अब उन्हें यह रास्ता मुश्किल लग रहा है। वे अब जरूरत पड़ने पर अपने गहनों को गिरवी रखकर लोन लेना ज्यादा आसान समझ रहे हैं।”
धारणा में बदलाव
पहले गोल्ड लोन को मजबूरी का अंतिम विकल्प माना जाता था लेकिन अब इसे एक मुख्यधारा का वित्तीय साधन समझा जा रहा है। खासकर इसलिए क्योंकि इसकी ब्याज दरें माइक्रोफाइनैंस लोन (अक्सर 20% से ज्यादा) से काफी कम हैं।