IMF ने भारत के आर्थिक आंकड़ों पर उठाए सवाल, National Accounts Data को मिला C ग्रेड

Edited By Updated: 28 Nov, 2025 05:13 PM

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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े सरकारी आंकड़ों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। अपनी सालाना समीक्षा रिपोर्ट में आईएमएफ ने भारत के राष्ट्रीय लेखा आंकड़ों (National Accounts Data) को C ग्रेड में रखा है, जिसे गुणवत्ता...

बिजनेस डेस्कः अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े सरकारी आंकड़ों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। अपनी सालाना समीक्षा रिपोर्ट में आईएमएफ ने भारत के राष्ट्रीय लेखा आंकड़ों (National Accounts Data) को C ग्रेड में रखा है, जिसे गुणवत्ता के मामले में दूसरा सबसे कमजोर स्तर माना जाता है।

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IMF ने क्या कहा?

एक रिपोर्ट के अनुसार, आईएमएफ ने कहा कि भारत के आर्थिक आंकड़े समय पर उपलब्ध हो जाते हैं और काफी जानकारी भी देते हैं लेकिन डेटा तैयार करने की कार्यप्रणाली (Methodology) में खामियां हैं। इसी वजह से राष्ट्रीय लेखा आंकड़ों को C ग्रेड दिया गया है।

इसके साथ ही उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)—जिससे मुद्रास्फीति मापी जाती है—को B ग्रेड मिला है। कुल मिलाकर, अधिकांश डेटा कैटेगरी को आईएमएफ ने B ग्रेड में रखा है।

ग्रेडिंग सिस्टम क्या बताता है?

ग्रेड A: अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार पूरी तरह सटीक और विश्वसनीय डेटा
ग्रेड B: डेटा में मामूली कमजोरियां, लेकिन broadly उपयोगी
ग्रेड C: कार्यप्रणाली में गंभीर कमियां, IMF के लिए निगरानी मुश्किल
ग्रेड D: डेटा बेसिक अंतरराष्ट्रीय मानकों को भी पूरा नहीं करता, भरोसेमंद नहीं

आईएमएफ की यह टिप्पणी न केवल भारत के सांख्यिकीय ढांचे पर सवाल उठाती है, बल्कि आने वाले GDP आंकड़ों की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी बहस छेड़ सकती है।

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दूसरी तिमाही में 8.2% बढ़ी अर्थव्यवस्था

शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी जो पिछली छह तिमाहियों में सर्वाधिक है। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत रही थी। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत थी। 

जीडीपी का मतलब देश की सीमा के भीतर निश्चित अवधि में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य से है। जीएसटी दरों में कटौती के बाद खपत बढ़ने की उम्मीद में कारखानों ने उत्पादन तेज किया, जिससे वृद्धि दर में तेज उछाल देखी गई। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, आलोच्य तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र 9.1 प्रतिशत बढ़ा। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह वृद्धि मात्र 2.2 प्रतिशत थी। विनिर्माण क्षेत्र का देश की जीडीपी में 14 प्रतिशत योगदान है।
 

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