Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Nov, 2025 01:10 PM

भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर एक बार फिर सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ फिर तेजी दिखा सकती है। पिछली तिमाही में 7.8% की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई थी और अब उम्मीद है कि यह रफ्तार...
बिजनेस डेस्कः भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर एक बार फिर सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ फिर तेजी दिखा सकती है। पिछली तिमाही में 7.8% की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई थी और अब उम्मीद है कि यह रफ्तार सितंबर तिमाही में भी बरकरार रहेगी।
दूसरी तिमाही के GDP आंकड़ों पर सबकी नजर
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) आज दूसरी तिमाही के GDP आंकड़े जारी करेगा। अमेरिकी टैरिफ दबाव, वैश्विक सुस्ती और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बावजूद कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि भारत की GDP 7% से अधिक रह सकती है।
पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था का शानदार प्रदर्शन
पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था ने मजबूत घरेलू मांग, उपभोग में सुधार और नियंत्रित मुद्रास्फीति की बदौलत शानदार प्रदर्शन किया था। विशेषज्ञों का मानना है कि यही समर्थन दूसरी तिमाही में भी मिलता रहेगा। SBI की ताजा रिपोर्ट भी इसी ओर इशारा करती है। बैंक के अनुसार निवेश गतिविधियां बढ़ी हैं, ग्रामीण उपभोग में सुधार हुआ है और सर्विस व मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने स्थिर मजबूती दिखाई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि GST 2.0 सुधारों का असर भी धीरे-धीरे घरेलू मांग और उपभोग पर दिखने लगा है। बैंक द्वारा ट्रैक किए जा रहे प्रमुख आर्थिक संकेतकों में पहली तिमाही में जहां 70% संकेतक तेजी दिखा रहे थे, वहीं दूसरी तिमाही में इनकी संख्या बढ़कर 83% हो गई है।
GDP 7.5%- 8% के बीच रहने का अनुमान
SBI ने अपने अनुमान मॉडल के आधार पर दावा किया है कि दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ 7.5% से 8% के बीच और GVA करीब 8% रह सकता है। हालांकि वैश्विक स्तर पर कमोडिटी कीमतों में उतार-चढ़ाव और अंतरराष्ट्रीय व्यापार बाधाएं भविष्य के लिए चुनौती बनी हुई हैं लेकिन रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत का अल्पावधि आर्थिक आउटलुक मजबूत बना रहेगा।
CARE Ratings का अनुमान
इस बीच CARE Ratings Economic Meter ने दूसरी तिमाही के लिए 3.2% की वृद्धि दिखाई है, जो पहली तिमाही के 3.3% के मुकाबले थोड़ा कम है। इसके बावजूद विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में भारत आर्थिक मजबूती बनाए रखने में सक्षम रहेगा।