‘मेक इन इंडिया’ की उड़ान: भारत का रक्षा निर्यात FY26 में ₹30,000 करोड़ तक पहुंचने का लक्ष्य

Edited By Updated: 21 May, 2025 01:49 PM

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भारत ने बीते 11 वर्षों में रक्षा निर्यात के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है। वित्त वर्ष 2014 में जहां देश का रक्षा निर्यात मात्र ₹686 करोड़ था, वहीं FY25 में यह आंकड़ा 34 गुना बढ़कर ₹23,622 करोड़ तक पहुंच गया। अब सरकार का लक्ष्य FY26 में इसे...

बिजनेस डेस्कः भारत ने बीते 11 वर्षों में रक्षा निर्यात के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है। वित्त वर्ष 2014 में जहां देश का रक्षा निर्यात मात्र ₹686 करोड़ था, वहीं FY25 में यह आंकड़ा 34 गुना बढ़कर ₹23,622 करोड़ तक पहुंच गया। अब सरकार का लक्ष्य FY26 में इसे ₹30,000 करोड़ और FY29 तक ₹50,000 करोड़ तक ले जाने का है।

विशेषज्ञों का मानना है कि रक्षा उत्पादन और निर्यात में इस उछाल के पीछे सरकार द्वारा किए गए कई सुधारात्मक कदम हैं- जैसे औद्योगिक लाइसेंस प्रक्रिया का सरलीकरण, पार्ट्स और कंपोनेंट्स को लाइसेंस व्यवस्था से बाहर करना और निर्यात नियमों में ढील देना। इन प्रयासों ने भारत को रक्षा उपकरणों के शुद्ध आयातक से एक उभरते निर्यातक में बदल दिया है।

रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन

FY25 में भारत का रक्षा निर्यात ₹21,083 करोड़ से बढ़कर ₹23,622 करोड़ हो गया, जो कि 12% की वृद्धि है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, भारत अब 100 से अधिक देशों को हथियार, गोला-बारूद, सिस्टम्स, सब-सिस्टम्स और अन्य रक्षा उपकरणों का निर्यात करता है। शीर्ष तीन आयातक देशों में अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया शामिल हैं।

सरकारी और निजी क्षेत्र की भूमिका

FY25 में कुल रक्षा निर्यात में निजी क्षेत्र का योगदान ₹15,233 करोड़ रहा, जबकि रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों (DPSUs) ने ₹8,389 करोड़ का निर्यात किया। यह FY24 में हुए ₹5,874 करोड़ के निर्यात से 42.9% अधिक है। 2014-24 के दशक में भारत का रक्षा निर्यात ₹4,312 करोड़ से बढ़कर ₹88,319 करोड़ हो गया यानि 21 गुना वृद्धि।

प्रमुख निर्यात वस्तुएं और तकनीक

भारत अब बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर (Do-228) एयरक्राफ्ट, चेतक हेलीकॉप्टर, इंटरसेप्टर बोट्स, हल्के टॉरपीडो, नाइट विज़न डिवाइस, रडार, और हाई-फ्रिक्वेंसी रेडियो जैसे उन्नत उपकरणों का निर्यात करता है। ब्रह्मोस मिसाइल, के4 और के15 जैसी बैलिस्टिक मिसाइलें भी अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं।

निर्यात को बढ़ावा देने वाले कदम

रक्षा मंत्रालय ने 2021 में नियमों में ढील देकर निर्यात को आसान बनाया। अब सब-सिस्टम्स, प्लेटफॉर्म्स और कंपोनेंट्स को एक बार में स्वीकृति के तहत बिना बार-बार अनुमति के निर्यात किया जा सकता है। इसके अलावा, ‘ओपन जनरल एक्सपोर्ट लाइसेंस’ (OGEL) प्रणाली को लागू किया गया, जिससे चयनित देशों को निर्दिष्ट उत्पादों का निर्यात एक बार की अनुमति से संभव हो गया।

तेजी से बढ़ते एक्सपोर्टर्स

FY25 में रक्षा मंत्रालय ने कुल 1,762 एक्सपोर्ट ऑथराइजेशन जारी किए, जबकि FY24 में यह संख्या 1,507 थी यानी 16.92% की वृद्धि। इसी अवधि में रक्षा निर्यात करने वाली कंपनियों की संख्या में भी 17.4% की बढ़ोतरी हुई।
 

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