बजट में मध्यमवर्ग, नौकरीपेशा लोगों को आयकर मोर्चे पर मिल सकती है कुछ राहत

Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Jan, 2023 03:41 PM

middle class employed people can get some relief on the income tax

1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेगी। 11 बजे से बजट भाषण शुरू हो जाएगा। उम्मीदें लगाए बैठे लोगों इस बजट के ऐलान का इंतजार कर रहे है। चुनावी साल होने के कारण लोगों की उम्मीदें भी बढ़ गई है। देश की सबसे बड़ी जनसंख्या

बिजनेस डेस्कः 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेगी। 11 बजे से बजट भाषण शुरू हो जाएगा। उम्मीदें लगाए बैठे लोगों इस बजट के ऐलान का इंतजार कर रहे है। चुनावी साल होने के कारण लोगों की उम्मीदें भी बढ़ गई है। देश की सबसे बड़ी जनसंख्या मिडिल क्लास , जो महंगाई के बोझ से सबसे ज्यादा परेशान है, उसे उम्मीद है कि बजट में उनके लिए राहत का ऐलान होगा। वहीं टैक्स के बोझ तले दबे सैलरीड क्लास को उम्मीद है कि वित्त मंत्री इनकम टैक्स में राहत देकर उनके दर्द को थोड़ा कम करेंगी। माना जा रहा है कि इनकम टैक्स में रोहात मिल सकती है। जाने-माने अर्थशास्त्री और शोध संस्थान सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज के चेयरमैन सुदिप्तो मंडल ने यह संभावना जतायी है।

सरकार 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पेश होने वाले बजट में मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को आयकर मोर्चे पर कुछ राहत दे सकती है। इसके अलावा, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों का दायरा बढ़ाए जाने की भी संभावना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में एक फरवरी को 2023-24 का बजट पेश करेंगी। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले यह उनका अंतिम पूर्ण बजट है।

मौजूदा वैश्विक चुनौतियों और घरेलू स्थिति को देखते हुए बजट में सरकार की प्राथमिकताओं के बारे में पूछे जाने पर मंडल ने कहा, '' निश्चित रूप से कई वैश्विक समस्याएं एक साथ सामने आई हैं और इससे देश में अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर आर्थिक चुनौतियां बढ़ी हैं। इसमें आर्थिक वृद्धि दर का धीमा होना, मुद्रास्फीति और चालू खाते के घाटे में वृद्धि के साथ रोजगार का पर्याप्त संख्या में नहीं बढ़ना शामिल है। महंगाई खासकर मुख्य मुद्रास्फीति (ईंधन और खाद्य वस्तुओं को छोड़कर) अब भी ऊंची बनी हुई है। वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तीन तिमाहियों में आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार धीमी हुई है और हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर केवल 5.2 प्रतिशत रहेगी।''

उन्होंने कहा, ''इसके अलावा, चालू खाते का घाटा (कैड) भी संतोषजनक स्तर से ऊपर है। इन सब चीजों को देखते हुए, मेरा मानना है कि रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये अपना प्रयास जारी रखेगा, जबकि बजट में आर्थिक वृद्धि खासकर रोजगार बढ़ाने वाली वृद्धि तथा निर्यात को बढ़ावा देने वाले उपायों पर विशेष गौर किया जाना चहिए।'' रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, चालू खाते का घाटा मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 36.4 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 4.4 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो पहली तिमाही अप्रैल-जून में 18.2 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 2.2 प्रतिशत था। कैड मुख्य रूप से वस्तुओं और सेवाओं के कुल निर्यात और आयात मूल्य का अंतर है। हालांकि, इसमें शुद्ध आय और (ब्याज और लाभांश आदि) तथा विदेशों से अंतरण (विदेशी सहायता आदि) भी शामिल होता है लेकिन इनकी हिस्सेदारी काफी कम होती है।

आयकर मोर्चे पर मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को बजट में कुछ राहत मिलने की उम्मीद के बारे में पूछे जाने पर मंडल ने कहा, ''वास्तव में , नौकरीपेशा लोगों का बड़ा हिस्सा आयकर नहीं देता। केवल उच्च मध्यम वर्ग और धनाढ़्य लोगों का छोटा तबका ही आयकर देता है। इसलिए व्यक्तिगत आयकर के प्रावधानों में किसी भी बदलाव का एक बड़े तबके पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके अलावा, वैश्विक मानकों के अनुसार हमारी व्यक्तिगत आयकर दरें बहुत अधिक नहीं हैं। बदलाव के बजाय हमारे कर ढांचे में स्थिरता होना जरूरी है। इसलिए मुझे लगता है कि आयकर ढांचे में किसी खास बदलाव की उम्मीद नहीं है। करदाताओं के दृष्टिकोण से, प्रत्यक्ष कर संहिता के जरिए आयकर प्रावधानों को सरल बनाना ज्यादा महत्वपूर्ण होगा। कर भुगतान की प्रक्रियाओं और अनुपालन जरूरतों को सरल बनाना बेहतर है।

उन्होंने कहा, ''हालांकि, बहुत हद तक संभव है कि वित्त मंत्री छूट सीमा (कर स्लैब औेर निवेश सीमा) या मानक कटौती को बढ़ाकर कुछ राहत देने की घोषणा करेंगी। एक अन्य सवाल के जवाब में अर्थशास्त्री ने कहा, ''रियल्टी क्षेत्र अभी लंबी अवधि के बाद पटरी पर आना शुरू हुआ है। साथ ही यह रोजगार बढ़ाने वाला क्षेत्र है। ऐसे में अगर आवास ऋण को लेकर ब्याज भुगतान पर छूट की सीमा बढ़ायी जाती है, तो यह स्वागतयोग्य कदम होगा।''

उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ''पीएलआई योजना से कुछ क्षेत्रों में उत्पादन को बढ़ावा मिला है। लेकिन इसका लाभ मुख्य रूप से संगठित क्षेत्र के बड़े उद्यमों को गया। मुझे उम्मीद है कि इस योजना को अधिक रोजगार सृजित करने वाले क्षेत्रों तक बढ़ाया जा सकता है.... उन क्षेत्रों के लिए योजना लागू करना बेहतर होगा, जो अपने उत्पादन का बड़ा हिस्सा निर्यात करते हैं। इससे निर्यात वाले क्षेत्रों में उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।''

उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री ने देश में विनिर्माण को गति देने और रोजगार सृजित करने के इरादे से 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना की घोषणा की है। यह योजना वाहन, वाहन कलपुर्जा, उन्नत रसायनिक बैटरी, विशेष इस्पात जैसे क्षेत्रों में लागू की गयी है।

कृषि के बारे में मंडल ने कहा, ''कृषि क्षेत्र में, फसलों को लेकर विविधीकरण जरूरी है। हमारी मुख्य चुनौती चावल, गेहूं और गन्ने जैसी अधिक पानी की खपत वाले वाले फसलों की जगह दूसरे फसलों को बढ़ावा देने की है। हाल में मोटे अनाज पर जो ध्यान दिया गया है, वह स्वागतयोग्य है। यदि बजट में बाजरा, दलहन और तिलहन जैसी फसलों के लिए खाद्य नीति व्यवस्था.... खरीद और सार्वजनिक वितरण प्रणाली... में बदलाव की घोषणा की जाती है, तो यह अच्छा कदम होगा। व्यय बजट में इसके लिए महत्वपूर्ण प्रावधान किए जाने की उम्मीद है।''
 

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