Edited By jyoti choudhary,Updated: 05 Nov, 2025 12:29 PM

मॉर्गन स्टैनली का कहना है कि भारतीय शेयर बाजार में हालिया गिरावट अब समाप्त होती दिख रही है। विश्लेषकों के अनुसार, वे कारक जो भारत को अन्य उभरते बाजारों की तुलना में कमजोर बना रहे थे, अब सुधरने लगे हैं और बाजार में रिकवरी के संकेत नजर आ रहे हैं।
बिजनेस डेस्कः मॉर्गन स्टैनली का कहना है कि भारतीय शेयर बाजार में हालिया गिरावट अब समाप्त होती दिख रही है। विश्लेषकों के अनुसार, वे कारक जो भारत को अन्य उभरते बाजारों की तुलना में कमजोर बना रहे थे, अब सुधरने लगे हैं और बाजार में रिकवरी के संकेत नजर आ रहे हैं।
सेंसेक्स का संभावित रेंज (जून 2026 तक):
- बुल केस (30% संभावना): सेंसेक्स 1,00,000 तक पहुंच सकता है
- बेस केस (50% संभावना): सेंसेक्स 89,000 के आसपास रहने की उम्मीद
- बियर केस (20% संभावना): सेंसेक्स 70,000 तक गिर सकता है
मॉर्गन स्टैनली ने भारतीय बाजार के लिए दस प्रमुख शेयरों को अपनी पसंदीदा सूची में रखा है:
मारुति सुजुकी, ट्रेंट, टाइटन, वरुण बेवरेजेस, रिलायंस इंडस्ट्रीज, बजाज फाइनेंस, ICICI बैंक, L&T, अल्ट्राटेक सीमेंट और कॉफोर्ज। इन कंपनियों में मजबूत बिजनेस मॉडल और बेहतर विकास संभावनाएं दिखाई दे रही हैं।
बाजार की नई दिशा: अब मैक्रो डेटा करेगा ट्रेंड तय
रिपोर्ट के अनुसार, आगे बाजार का रुझान केवल स्टॉक-पिकिंग से नहीं, बल्कि बड़े आर्थिक संकेतों (जैसे वृद्धि दर, नीतिगत बदलाव, तरलता और वैश्विक स्थिति) पर निर्भर रहेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि का चक्र अब तेज हो सकता है। इसके पीछे कई कारण बताए गए हैं:
- ब्याज दरों में संभावित कटौती
- बैंकों की नीति परिवर्तनों में सुधार
- सरकारी कैपेक्स बढ़ना
- GST दरों में लगभग ₹1.5 लाख करोड़ की कमी का प्रभाव
- चीन के साथ संबंधों और व्यापार नीतियों में बदलाव
- भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की संभावना
साथ ही, भारत के GDP में तेल पर निर्भरता कम हो रही है और सेवा निर्यात और घरेलू बचत का योगदान बढ़ रहा है। इससे ब्याज दरों में स्थिरता आने की संभावना है।
कहां है जोखिम?
फिर भी, मॉर्गन स्टैनली ने दो बड़े जोखिमों की ओर संकेत किया है:
- वैश्विक आर्थिक सुस्ती
- बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव
रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी निवेशक अभी भी सतर्क हैं। भारत में निवेश का प्रवाह तभी बढ़ेगा जब:
- कंपनियों के मुनाफे में सुधार हो
- RBI अगले कुछ महीनों में ब्याज दर घटाए
- सरकारी कंपनियों के निजीकरण में तेजी आए
- अमेरिका भारत पर कुछ टैरिफ कम करे