Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Dec, 2025 10:26 AM

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार (3 दिसंबर) को इतिहास में पहली बार 90 रुपए के स्तर के पार चला गया। शुरुआती कारोबार में रुपया 9 पैसे गिरकर 90.05 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर खुला। यह मनोवैज्ञानिक रूप से बेहद अहम स्तर माना जाता है, जिसके टूटने से रुपए...
बिजनेस डेस्कः अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार (3 दिसंबर) को इतिहास में पहली बार 90 रुपए के स्तर के पार चला गया। शुरुआती कारोबार में रुपया 9 पैसे गिरकर 90.05 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर खुला। यह मनोवैज्ञानिक रूप से बेहद अहम स्तर माना जाता है, जिसके टूटने से रुपए पर दबाव और बढ़ गया है। अमेरिका के साथ ट्रेड डील में देरी, कमजोर पोर्टफोलियो फ्लो और सुस्त व्यापारिक गतिविधियों ने भी रुपए की गिरावट को तेज किया है।
इससे पहले मंगलवार को रुपए ने इंट्रा-डे में 89.9475 का नया रिकॉर्ड लो छुआ था और मार्केट बंद होने के बाद इंटरबैंक प्लेटफॉर्म पर 90 प्रति डॉलर के लेवल को भी पार कर गया था। लगातार पांचवें सत्र में गिरावट के बावजूद आरबीआई का हस्तक्षेप प्रभावी साबित नहीं हो सका।
क्यों टूटा ‘88.80’ का तकनीकी सपोर्ट?
मार्केट विशेषज्ञों का कहना है कि 88.80 के नीचे फिसलना रुपए के लिए एक महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक और तकनीकी सपोर्ट के टूटने जैसा था।
इसके बाद से रुपए पर दबाव और बढ़ गया है क्योंकि:
- पूंजी प्रवाह लगातार कमजोर हो रहे हैं
- आयातक बड़े पैमाने पर डॉलर खरीद रहे हैं
- हाल के दिनों में सट्टेबाज़ी बढ़ी है
- एफपीआई की बड़ी बिकवाली जारी है
रुपया क्यों कमजोर हो रहा है? – मुख्य वजहें
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स LLP के ट्रेजरी हेड अनिल कुमार भंसाली के मुताबिक, रुपये की गिरावट की सबसे बड़ी वजह है:
- इंपोर्टर्स की ओर से डॉलर की मजबूत डिमांड
- सट्टेबाज़ों की शॉर्ट-कवरिंग
- सरकार और RBI द्वारा एक्सपोर्टर्स को सपोर्ट देने की रणनीति
- बैंकों द्वारा ऊंचे रेट पर बड़ी मात्रा में डॉलर खरीदना
उन्होंने कहा कि मंगलवार को नेशनलाइज्ड बैंकों ने जोरदार तरीके से डॉलर खरीदे, जिसकी वजह से ट्रेडिंग के बाद भी डॉलर की कीमत 90.0050 तक पहुंच गई। भारत–अमेरिका ट्रेड बातचीत में रुकावट और भारी एफपीआई आउटफ्लो के कारण दबाव और बढ़ा है। भंसाली का अनुमान है कि अगर RBI 90 के स्तर पर सपोर्ट कम करता है, तो रुपया 91 तक भी जा सकता है।