GDP में बढ़े बैंक कर्ज की हिस्सेदारी 50% से अधिक होने की संभावना

Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 May, 2022 05:19 PM

the share of increased bank credit in gdp is likely to exceed 50

मौजूदा मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद (नॉमिनल जीडीपी) में वृद्धिशील या बढ़े हुए बैंक ऋण की हिस्सेदारी चालू वित्त वर्ष में 50 प्रतिशत के आंकड़े को पार कर सकती है। एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट में सोमवार को यह संभावना जताई गई। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष

मुंबईः मौजूदा मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद (नॉमिनल जीडीपी) में वृद्धिशील या बढ़े हुए बैंक ऋण की हिस्सेदारी चालू वित्त वर्ष में 50 प्रतिशत के आंकड़े को पार कर सकती है। एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट में सोमवार को यह संभावना जताई गई। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में यह अनुपात 27 प्रतिशत पर रहा था, जो कि पिछले एक दशक का सबसे निचला स्तर है। महामारी से पहले के वित्त वर्ष 2018-19 में जीडीपी के अनुपात में बढ़ा हुआ कर्ज 63 प्रतिशत के उच्चस्तर पर रहा था। वहीं वित्त वर्ष 2019-20 के अंत में सात साल की अवधि की औसत हिस्सेदारी 50 प्रतिशत आंकी गई थी। 

जीडीपी के अनुपात में ऋण का ऊंचा स्तर यह दर्शाता है कि वास्तविक अर्थव्यवस्था में बैंकिंग क्षेत्र की भागीदारी सक्रिय एवं आक्रामक है। वहीं यह अनुपात कम रहने का मतलब है कि अर्थव्यवस्था को ज्यादा औपचारिक ऋण की जरूरत है। एसबीआई की इकोरैप रिपोर्ट कहती है, ‘‘हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी में बैंक ऋण की हिस्सेदारी फिर से 50 प्रतिशत के स्तर को पार कर सकती है। यह आर्थिक वृद्धि में बैंकों की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।'' 

वित्त वर्ष 2021-22 में सभी प्रमुख क्षेत्रों के सुधरे हुए प्रदर्शन से बैंकों के ऋण में 9.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पिछले वित्त वर्ष में 10.5 लाख करोड़ रुपए की वृद्धिशील ऋण वृद्धि दर्ज की गई जो एक साल पहले के 5.8 लाख करोड़ रुपए का 1.8 गुना है।

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