Edited By jyoti choudhary,Updated: 31 Dec, 2025 12:00 PM
अखबारों और न्यूज पोर्टल्स पर बैंक फ्रॉड की खबरें अब आम हो गई हैं। मिनटों में लोगों से लाखों-करोड़ों रुपए ठग लिए जाते हैं और इस पूरी ठगी में अहम भूमिका निभाते हैं तथाकथित म्यूल अकाउंट्स (Mule Account)। इन्हीं घटनाओं से सबक लेते हुए बैंक अब डिजिटल...
बिजनेस डेस्कः अखबारों और न्यूज पोर्टल्स पर बैंक फ्रॉड की खबरें अब आम हो गई हैं। मिनटों में लोगों से लाखों-करोड़ों रुपए ठग लिए जाते हैं और इस पूरी ठगी में अहम भूमिका निभाते हैं तथाकथित म्यूल अकाउंट्स (Mule Account)। इन्हीं घटनाओं से सबक लेते हुए बैंक अब डिजिटल खातों को खोलने के नियमों में सख्ती बरतने लगे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बैंक अब ई-केवाईसी (eKYC) के बजाय वीडियो-केवाईसी (Video KYC) और ब्रांच-वेरिफिकेशन को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं।
डिजिटल खाता खोलना आसान लेकिन शर्तें सख्त
सरकार ने बैंकों को यह अनुमति दी है कि वे सिर्फ आधार और पैन कार्ड के जरिए डिजिटल सेविंग अकाउंट खोल सकें। हालांकि, ऐसे खातों में अधिकतम एक लाख रुपए तक ही जमा की अनुमति होती है और इन्हें एक साल के भीतर फुल KYC खाते में बदलना अनिवार्य है।
12 दिसंबर को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, एचडीएफसी बैंक, एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक जैसे बड़े बैंक अब ग्राहकों से शाखा में आकर व्यक्तिगत पहचान सत्यापन कराने को कह रहे हैं। इससे पूरी तरह डिजिटल तरीके से अकाउंट खोलने की प्रक्रिया धीमी पड़ती दिख रही है।
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म्यूल अकाउंट्स बढ़े, इसलिए ब्रांच बुला रहे बैंक
एक वरिष्ठ बैंकर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ई-केवाईसी के जरिए हर स्तर पर अकाउंट खोलने को अब बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह बैंकिंग सिस्टम में म्यूल अकाउंट्स की तेजी से बढ़ती संख्या है। म्यूल अकाउंट्स ऐसे खाते होते हैं, जिनका इस्तेमाल साइबर ठगी से निकाले गए पैसों को इधर-उधर ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है।
यहां तुरंत नहीं खुलेगा खाता
आईसीआईसीआई बैंक ने गैर-वेतनभोगी ग्राहकों के लिए इंस्टेंट सेविंग अकाउंट खोलने की सुविधा बंद कर दी है। वहीं, एचडीएफसी बैंक ग्राहक जोड़ने के लिए एक नए एकीकृत मॉडल पर निवेश कर रहा है।
कई सरकारी बैंक भी अब डिजिटल प्रक्रिया के बजाय ग्राहकों को नजदीकी शाखा में आने की सलाह दे रहे हैं।
V-KYC सुरक्षित, लेकिन आसान नहीं
सरकार डिजिटल ऑनबोर्डिंग को बढ़ावा दे रही है और वीडियो-केवाईसी को सबसे सुरक्षित तरीका मानती है। लेकिन यह प्रक्रिया तकनीकी और संसाधन-आधारित है। इसमें बैंक अधिकारी को ग्राहक की पहचान और दस्तावेजों की लाइव पुष्टि करनी होती है।
एक फिनटेक कंपनी के संस्थापक के मुताबिक, इसके लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने, टेक्नोलॉजी में माहिर टीम बनाने और विशेष संपर्क केंद्र स्थापित करने में भारी निवेश करना पड़ता है।
जिनकी ज्यादा ब्रांच, वे वहीं बुला रहे ग्राहक
उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जिन बैंकों का ब्रांच नेटवर्क मजबूत है, वे वीडियो-केवाईसी जैसे जटिल सिस्टम बनाने के बजाय ग्राहकों को सीधे शाखा में बुलाने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
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कहां बढ़ रहा है Video KYC
वीडियो-केवाईसी का इस्तेमाल वेल्थ मैनेजमेंट और हाई-वैल्यू अकाउंट्स में तेजी से बढ़ा है, जहां ज्यादातर काम रिमोट तरीके से होता है। हालांकि, बड़े बैंकों की देशभर में मौजूदगी के चलते वे पारंपरिक चैनलों पर ही ज्यादा भरोसा कर रहे हैं।
बैंकों ने बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट्स के जरिए भी अकाउंट खोलने की कोशिश की लेकिन वहां भी धोखाधड़ी का खतरा बना रहा। साथ ही, Video KYC से लागत घटने की उम्मीद थी, मगर सपोर्ट सिस्टम में निवेश बढ़ने से कई बैंकों ने यह सुविधा सीमित या बंद कर दी है।