ना सरहद की जरूरत, ना हथियार की... चीन के पास आ गई वो जबरदस्त ताकत जिससे दुनियाभर में मच सकती है तबाही

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 01 Jun, 2025 06:15 PM

great firewall of china government control over the internet

आज की दुनिया में लड़ाई केवल हथियारों और सेनाओं से नहीं लड़ी जा रही। अब एक और ताकत है, जो किसी देश की सीमाओं से भी ज्यादा खतरनाक मानी जा रही है... और वो है इंटरनेट पर नियंत्रण। चीन इस क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा खिलाड़ी बन चुका है। उसकी 'डिजिटल...

नेशलन डेस्क: आज की दुनिया में लड़ाई केवल हथियारों और सेनाओं से नहीं लड़ी जा रही। अब एक और ताकत है, जो किसी देश की सीमाओं से भी ज्यादा खतरनाक मानी जा रही है... और वो है इंटरनेट पर नियंत्रण। चीन इस क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा खिलाड़ी बन चुका है। उसकी 'डिजिटल तानाशाही' ने ये साबित कर दिया है कि अगर इंटरनेट को काबू कर लिया जाए तो पूरी दुनिया को सूचना के माध्यम से प्रभावित किया जा सकता है। Freedom House की 2021 की रिपोर्ट "Freedom on the Net" में चीन को इंटरनेट आज़ादी के मामले में 100 में से केवल 10 अंक मिले। ये आंकड़ा दिखाता है कि चीन ने कैसे अपने नागरिकों की ऑनलाइन गतिविधियों को पूरी तरह नियंत्रित कर रखा है। 70 देशों की समीक्षा में चीन सबसे ज्यादा इंटरनेट नियंत्रण वाला देश पाया गया।

क्या है चीन का ‘ग्रेट फायरवॉल’?

चीन की ये ताकत एक तकनीकी प्रणाली के जरिए चलती है जिसे 'ग्रेट फायरवॉल ऑफ चाइना' कहा जाता है। यह एक ऐसा सिस्टम है जो देश के भीतर और बाहर जाने वाले इंटरनेट ट्रैफिक को कड़ी निगरानी में रखता है। इसका मकसद है-

इस सिस्टम के चलते फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और गूगल जैसी साइट्स चीन में नहीं चलतीं। यहां तक कि चीन अपने सर्च इंजन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी खुद बनाता है, जैसे Baidu और WeChat।

चीन से प्रेरणा ले रहे हैं कई देश

चीन का मॉडल अब केवल चीन तक सीमित नहीं है। दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देश इस राह पर चल पड़े हैं।

  • वियतनाम चीन के नक्शे-कदम पर है और इंटरनेट पर नियंत्रण बढ़ा रहा है।

  • कंबोडिया और थाईलैंड भी कड़े इंटरनेट नियम लाने की तैयारी कर रहे हैं।

इसके अलावा मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में भी यही मॉडल अपनाया जा रहा है।

  • संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, मिस्र और बहरीन इंटरनेट पर कड़ी निगरानी और सेंसरशिप के मामले में टॉप पर हैं।

रूस भी पीछे नहीं है

Freedom House की इस रिपोर्ट में रूस को 11वां स्थान मिला है। रूस में भी कई ऐसे उपाय अपनाए जा रहे हैं जो चीन से मेल खाते हैं —

  • ऑनलाइन कंटेंट पर पाबंदी

  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक करना

  • गलत सूचनाओं का प्रचार

  • साइबर हमले

  • यूज़र्स पर कानूनी कार्रवाई

साथ ही, रूस के साइबर कानूनों को और कठोर किया जा रहा है, जिससे सरकार को ज्यादा अधिकार मिलते हैं कि वह किस जानकारी को जनता तक पहुंचने दे और किसे नहीं।

यह 'डिजिटल बंदिश' क्यों है खतरनाक?

दुनिया में जहां इंटरनेट को लोकतंत्र और आज़ादी का प्रतीक माना जाता है, वहीं ये रिपोर्ट एक खतरे की घंटी है। जब सरकारें इंटरनेट को काबू में लेती हैं तो लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में पड़ जाती है।

  • सच छुपाया जाता है।

  • सवाल पूछने की आज़ादी छिन जाती है।

  • आम जनता सिर्फ वही देख पाती है जो सरकार चाहती है।

इसका असर केवल एक देश तक नहीं रहता, बल्कि वैश्विक स्तर पर सूचनाओं के प्रवाह को रोक देता है।

क्या भारत को सतर्क होने की जरूरत है?

भारत जैसे लोकतांत्रिक देश को इंटरनेट नियंत्रण के इस वैश्विक ट्रेंड से सतर्क रहना चाहिए।

  • भारत में इंटरनेट आज़ादी को लेकर बहस जारी है

  • फेक न्यूज, नफरत फैलाने वाले कंटेंट और साइबर क्राइम को रोकना जरूरी है, लेकिन उसके नाम पर सेंसरशिप या निगरानी की अति भी खतरनाक हो सकती है

  • संतुलन बनाना सबसे जरूरी है — सुरक्षा और अभिव्यक्ति के बीच

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!