Edited By Sarita Thapa,Updated: 25 Dec, 2025 09:59 AM

हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का बहुत खास महत्व है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला यह पावन त्यौहार न केवल ऋतुराज बसंत के स्वागत का प्रतीक है, बल्कि यह दिन विद्या, बुद्धि और कला की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती को समर्पित है।
Basant Panchami 2026 Date : हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का बहुत खास महत्व है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला यह पावन त्यौहार न केवल ऋतुराज बसंत के स्वागत का प्रतीक है, बल्कि यह दिन विद्या, बुद्धि और कला की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती को समर्पित है। मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मांड के रचयिता ब्रह्मा जी के मुख से देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन को ज्ञान के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। यह दिन छात्रों, संगीतकारों और कला प्रेमियों के लिए विशेष महत्व रखता है। माना जाता है कि इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ मां सरस्वती की पूजा करने और व्रत रखने से मन की हर मनोकामना पूरी होती है। साल 2026 में बसंत पंचमी की तिथि, पूजा का सटीक समय और पीले रंग के महत्व को लेकर कई विशेष संयोग बन रहे हैं। तो आइए जानते हैं बसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में-
Basant Panchami Shubh Muhurat बसंत पंचमी 2026 शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म की मान्यताओं और वैदिक गणना के अनुसार, साल 2026 में बसंत पंचमी का उत्सव 23 जनवरी, शुक्रवार को मनाया जाएगा। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 23 जनवरी 2026 को ब्रह्म मुहूर्त के समय 02 बजकर 28 मिनट से हो जाएगी और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 24 जनवरी को सुबह 01 बजकर 46 मिनट पर होगी। चूंकि 23 जनवरी को सूर्योदय के समय पंचमी तिथि विद्यमान रहेगी, इसलिए शास्त्रों के अनुसार उदया तिथि को मानते हुए सरस्वती पूजा और बसंत उत्सव इसी दिन पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।

सरस्वती पूजा - पूजा का समय: सुबह 07:13 AM से दोपहर 12:33 PM तक।
कुल अवधि: लगभग 5 घंटे 20 मिनट।
Basant Panchami Puja Vidhi बसंत पंचमी पूजा विधि
बसंत पंचमी पर पीले रंग का विशेष महत्व है। सुबह स्नान के बाद पीले कपड़े पहनें।
एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
मां को पीले फूल, पीला चंदन, केसरिया अक्षत और पीली मिठाई अर्पित करें।
चूंकि मां सरस्वती विद्या की देवी हैं, इसलिए अपनी किताबें, पेन या वाद्य यंत्रों को पूजा स्थल पर रखें और उनका तिलक करें।
पूजा के दौरान "ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः" मंत्र का जाप करें।
अंत में मां सरस्वती के समक्ष घी का दीपक जलाएं और आरती करें।

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