Edited By Prachi Sharma,Updated: 22 Sep, 2025 02:00 PM

मनुष्य को दिन में दो से चार बार अट्टहास कर लेना चाहिए। ऐसा करने से शरीर ठीक रहता है और रोगों का आक्रमण नहीं होता। हंसने का तात्पर्य है प्रसन्न रहना। मानव प्रसन्न तभी रह सकता है, जब उसे किसी बात की चिंता न हो। यदि वह चिंता की चिता में जलता रहता है तो...
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Benefits of Laughing: मनुष्य को दिन में दो से चार बार अट्टहास कर लेना चाहिए। ऐसा करने से शरीर ठीक रहता है और रोगों का आक्रमण नहीं होता। हंसने का तात्पर्य है प्रसन्न रहना। मानव प्रसन्न तभी रह सकता है, जब उसे किसी बात की चिंता न हो। यदि वह चिंता की चिता में जलता रहता है तो कमजोर होकर मृत्यु की ओर अग्रसर होता जाएगा।
चिंता से बचने के लिए चिंतामुक्त होना आवश्यक है, उसके लिए प्रसन्न रहना अत्यावश्यक है। प्रत्येक परिस्थिति को मंगलमय विधान समझकर प्रसन्न रहना चाहिए। प्रसन्न रहेंगे तो आप हंसेंगे और हंसेंगे तो चिंतामुक्त तो होंगे ही इसलिए हंसना एक ऐसी सरल औषधि है, जो शरीर को स्वस्थ बना देती है। डा. विलियम, जो स्टेनफोर्ड चिकित्सा विश्वविद्यालय से संबद्ध रहे, उनका मत है कि हंसने-हंसाने से परहेज करने वाले व्यक्ति तथा गमगीन रहने वालों को शीघ्र गंभीर बीमारियां होती हैं। हंसने से मन की चिंताएं दूर होकर एपीनेफ्रेन, डोपामाइन आदि हार्मोंस उत्पन्न होते हैं जो दर्दनाशक, एलर्जी उपचारक एवं रोगों से मुक्ति दिलाने वाले होते हैं।

हंसना एक ऐसा अनुपम व्यायम है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि करके मानसिक तनाव को दूर करता है एवं वात रोग तथा पेट के विकारों को उपचारित करता है। हंसने से स्टेराइड नामक तत्व शरीर में नहीं बन पाता है जिससे जीवनी शक्ति की वृद्धि होती है एवं शरीर रोगों से बचा रहता है।
ठहाके लगाने एवं जोर से हंसने से शरीर में एंडोर्फिन नामक रसायन की वृद्धि होती है, जो दर्दनाशक का काम करने लगता है। ठहाके लगाने एवं खुलकर हंसने से शरीर तंत्र में अंत:स्रावी क्रिया सक्रिय होकर रोगों का समूल नाश कर देती है। तनाव से दूर रहेंगे तो सर्दी, जुकाम, दमा, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, बेचैनी, सिरदर्द, पेट की तकलीफें, कमजोरी, खून की कमी, काम में मन नहीं लगना, स्मरण शक्ति की कमी, शरीर के भिन्न-भिन्न भागों में दर्द तथा चक्कर आना आदि से छुटकारा मिलेगा।

मानसिक तनाव शरीर में स्टेराइड तत्व पैदा करने लगता है जिससे जीवनी शक्ति में असाधारण कमी आती है। हंसने से सफेद रक्त कण सक्रिय हो जाते हैं और बीमारी पर चारों ओर से आक्रमण करके उसका समूल नाश कर देते हैं। ठहाका लगाना स्नायुओं की उत्कृष्ट कसरत है जिससे शारीरिक थकान एवं मानसिक तनाव का तुरंत उपचार हो जाता है।
डा. कर्नल चोपड़ा का विचार है कि हास्य चाहे कृत्रिम हो या स्वाभाविक, वह हमारे शरीर पर अपना पूरा असर करता है और हमारी जीवन शक्ति, दर्द सहने की क्षमता तथा रोग प्रतिरोधक शक्ति की अभिवृद्धि करने में निर्णायक भूमिका प्रस्तुत करता है।
