Edited By Sarita Thapa,Updated: 16 Oct, 2025 06:02 AM

एक राजा के दरबार में एक दिन साधु के वेश में एक ठग पहुंचा। राजा ने उसके झांसे में आकर उसे अपने दरबार में राज ज्योतिषी नियुक्त कर दिया। उसके बुद्धिमान मंत्री ने विरोध भी किया, लेकिन राजा ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया।
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Best Motivational Story: एक राजा के दरबार में एक दिन साधु के वेश में एक ठग पहुंचा। राजा ने उसके झांसे में आकर उसे अपने दरबार में राज ज्योतिषी नियुक्त कर दिया। उसके बुद्धिमान मंत्री ने विरोध भी किया, लेकिन राजा ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। एक बार राजा को सूचना मिली कि पड़ोसी राजा उस पर आक्रमण करने की योजना बना रहा है। उसने राज ज्योतिषी को बुलाकर इस विपत्ति का हल पूछा। वह बोला कि एक टन कोयला मंगाकर उसे जलाया जाए, उससे जितने वजन का धुआं उत्पन्न हो, उसके बराबर लोहा मंगाया जाए। इससे वह एक दिव्यास्त्र का निर्माण करेगा, जिससे शत्रु का नामो-निशान मिट जाएगा।

राजा और उसके सब सहयोगी इस अजीबो-गरीब शर्त को सुनकर बहुत चकराए। तभी मंत्री बोला कि मैं कोयला मंगाकर धुएं का वजन करके बताता हूं। उसने कोयला मंगाया और उसे जला दिया। पूरा जल जाने के बाद जो राख बची, उसने उसका वजन करवाया और ज्योतिषी को बताया कि जितना वजन कम हुआ है वही धुएं का वजन है। अब ठग ज्योतिषी बुरी तरह फंस गया। मंत्री ने उसकी मनोदशा को भांप लिया और बोला कि यदि ज्योतिषी दिव्यास्त्र नहीं बना सकते तो एक और उपाय है। राजा ने उसे उपाय बताने के लिए कहा।

मंत्री बोला कि यदि राज ज्योतिषी एक जलता हुआ कोयला अपने हाथ पर रख लें और उसे राख बनने तक वहीं रहने दें तो राज्य की ग्रहदशा सुधर सकती है। पोल खुलती देख ज्योतिषी राजा के पैरों पर गिर पड़ा लेकिन राजा ने उसे क्षमा नहीं किया और कारागार में डलवा दिया। प्रसंग का सार यह है कि धोखे से पाई गई कोई भी स्थिति बहुत ज्यादा दिनों तक साथ नहीं रहती।
