Buddha Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा पर पितृ दोष से मुक्ति का सुनहरा अवसर, करें ये खास उपाय

Edited By Updated: 12 May, 2025 06:39 AM

buddha purnima 2025

बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वैशाख पूर्णिमा भी कहा जाता है, एक अत्यंत पावन तिथि है जो भगवान गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति के साथ जुड़ी हुई है। वर्ष 2025 में यह शुभ दिन 12 मई को मनाया जाएगा।

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Buddha Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वैशाख पूर्णिमा भी कहा जाता है, एक अत्यंत पावन तिथि है जो भगवान गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति के साथ जुड़ी हुई है। वर्ष 2025 में यह शुभ दिन 12 मई को मनाया जाएगा। यह दिन न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बल्कि हिन्दू धर्म में भी एक विशेष आध्यात्मिक महत्व रखता है, खासकर पितृ दोष से मुक्ति के संदर्भ में। बुद्ध पूर्णिमा एक ऐसा विशेष अवसर होता है, जब पितृ दोष से मुक्ति के उपाय अत्यंत फलदायी होते हैं। इस दिन की आध्यात्मिक ऊर्जा व्यक्ति को शुद्ध और सकारात्मक बनाने में सहायक होती है।

पितृ तर्पण और पिंडदान करें
बुद्ध पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान कर तर्पण करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। तर्पण का अर्थ है जल में काले तिल, पुष्प, कुश और जल मिलाकर पितरों का स्मरण करते हुए उन्हें जल अर्पित करना। इससे उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त होती है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। तर्पण करते समय ये मंत्र बोल सकते हैं। यदि संभव हो तो किसी तीर्थ स्थल में पिंडदान करना विशेष फलदायी होता है।

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ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः।

पीपल वृक्ष की पूजा करें
हिन्दू धर्म में पीपल को देववृक्ष माना गया है और यह विशेष रूप से पितृ दोष निवारण में सहायक होता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं, जल चढ़ाएं, और 108 बार परिक्रमा करें। इसके साथ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय या ॐ श्री पितृ देवताभ्यो नमः मंत्र का जप करें।

दान करें
इस दिन अन्न, वस्त्र, फल, जल, तांबे के बर्तन, छाता, चप्पल, और दक्षिणा का दान करना अत्यंत शुभ होता है। यदि किसी गरीब को भोजन कराएं या किसी अनाथ को वस्त्र दें, तो वह विशेष पुण्यदायी होता है। ब्राह्मण भोजन और दक्षिणा देने से भी पितृ दोष में राहत मिलती है।

महामृत्युंजय मंत्र और पितृ स्तोत्र का जाप करें
बुद्ध पूर्णिमा के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से न केवल मानसिक शांति मिलती है बल्कि पितरों को भी शांति प्राप्त होती है। यह मंत्र जीवन की कठिनाइयों को दूर करता है:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

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मौन व्रत और ध्यान साधना करें
गौतम बुद्ध ने मौन और ध्यान के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त किया था। इस दिन मौन व्रत का संकल्प लेना और मन को ध्यान में लगाना आध्यात्मिक रूप से शुद्धि प्रदान करता है। यह आत्मा को पितृ दोष के बोझ से मुक्त करने में सहायक होता है। ध्यान के दौरान पितरों को स्मरण कर उनके लिए प्रार्थना करें।

रुद्राक्ष धारण करें
पांच मुखी रुद्राक्ष को शिव स्वरूप माना गया है। यह मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। इसे बुद्ध पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद पूजा कर धारण करें। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और पितृ दोष के प्रभाव कम होते हैं।
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