Chaitanya Mahaprabhu Jayanti : पढ़ें, राधाकृष्ण के सम्मिलित रूप की लीला

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Mar, 2023 11:00 AM

chaitanya mahaprabhu

कलियुग में लोगों का उद्धार करने तथा उन्हें श्री हरिनाम संकीर्तन के साथ जोडऩे वाले श्री चैतन्य महाप्रभु जी का जन्म शक संवत 1407 में फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को सिंह लगन में लगे चंद्र ग्रहण के दिन

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Chaitanya Mahaprabhu Jayanti 2023: कलियुग में लोगों का उद्धार करने तथा उन्हें श्री हरिनाम संकीर्तन के साथ जोड़ने वाले श्री चैतन्य महाप्रभु जी का जन्म शक संवत 1407 में फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को सिंह लगन में लगे चंद्र ग्रहण के दिन बंगाल के नवद्वीप नामक गांव में हुआ था। जहां गंगा जी के तट पर भक्तजन ‘हरि बोल, हरि बोल’ का संकीर्तन करते हुए भगवान को पुकार रहे थे, महाप्रभु जी का प्राकट्य हुआ। 

PunjabKesari Chaitanya Mahaprabhu

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें 

इन्हें भगवान श्री कृष्ण का ही रूप माना जाता है तथा इस संबंध में एक प्रसंग भी आता है कि एक दिन श्री जगन्नाथ जी के घर गोपाल मंत्र से दीक्षित एक ब्राह्मण अतिथि के रूप में आए। जब वह भोजन करने के लिए बैठे और उन्होंने अपने इष्टदेव का ध्यान करते हुए नेत्र बंद किए तो बालक निमाई ने झट से आकर भोजन का एक ग्रास उठाकर खा लिया जिस पर माता-पिता को पुत्र पर बड़ा क्रोध आया और उन्होंने  निमाई को घर से बाहर भेज दिया और अतिथि के लिए निरंतर दो बार फिर भोजन परोसा परंतु निमाई ने हर बार भोजन का ग्रास खा लिया और तब उन्होंने गोपाल वेश में दर्शन देकर अपने माता-पिता और अतिथि को प्रसन्न किया।

PunjabKesari Chaitanya Mahaprabhu

चाहे इनका बचपन का नाम ‘निमाई’ था परंतु आज भी लोग इन्हें श्री गौर हरि, श्री गौर नारायण, श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु, श्री गौरांग आदि नामों से याद करते हुए हरिनाम संकीर्तन करते हैं। बचपन की अनेक भक्तिपूर्ण लीलाएं करते हुए श्री चैतन्य ने अपनी शिक्षा शुरु की परंतु पिता ने अपने बड़े बेटे विश्वरूप की तरह इनके भी संन्यासी बन जाने के भय से इनकी पढ़ाई छुड़वा दी परंतु इनकी जिद्द को देखते हुए इनकी पढ़ाई उन्हें फिर शुरू करवानी पड़ी। पिता की मृत्यु के पश्चात घर की आर्थिक स्थिति के बारे में जब माता शचि ने इन्हें प्यार से समझाया तो इन्होंने माता को कहा कि जिस विश्वनियन्ता की कृपा से सभी प्राणी जीवन धारण करते हैं वही हमारी भी व्यवस्था करेंगे।

माता के आर्थिक संकट को मिटाने के लिए उन्होंने चतुष्पाठी खोली, जिसमें पढ़ने वालों की संख्या निरंतर बढ़ने लगी। पिता के श्राद्ध के लिए वह जब गया जी गए तो वहां उन्होंने ‘पादपदम’ की महिमा सुनी और प्रभु चरणों के दर्शन करके चैतन्य महाप्रभु भावुक हो गए और उनके मुख से शब्द भी नहीं निकले। बाह्यज्ञान के पश्चात उन्होंने ईश्वरपुरी के पास जाकर दशाक्षरी मंत्र की दीक्षा ली तथा प्रभु से प्रार्थना की कि ‘मैंने पुरी जी को अपना प्रभु समझकर अपना शरीर अर्पित किया है, अब मुझ पर ऐसी कृपा करें कि मैं कृष्ण प्रेम के सागर में गोते लगा सकूं’। 

PunjabKesari Chaitanya Mahaprabhu

वह प्रभु प्रेम की मस्ती में ‘श्री कृष्ण, श्री कृष्ण, मेरे प्राणाधार, श्री हरि तुम कहां हो’ पुकारते हुए कीर्तन करने लगे। उनके बहुत से शिष्य बन गए जो मिलकर ‘हरि हरये नम:,गोपाल गोबिंद, राम श्री मधुसूदन’ का संकीर्तन करते हुए प्रभु को ढूंढने लगे। उनके व्यक्तित्व का लोगों पर ऐसा विलक्षण प्रभाव पड़ा कि बहुत से अद्वैत वेदांती व संन्यासी भी उन के संग से कृष्ण प्रेमी बन गए और उनके विरोधी भी उनके अनुयायी बन गए। श्री चैतन्य महाप्रभु जी के जीवन का लक्ष्य लोगों में भगवद भक्ति और भगवतनाम का प्रचार करना था। 

वह सभी धर्मों का आदर करते थे। यह श्री राधाकृष्ण का सम्मिलित विग्रह हैं। कलियुग के युगधर्म श्री हरिनाम संकीर्तन को प्रदान करने के लिए श्री चैतन्य महाप्रभु जी ने अपने पार्षद श्री नित्यानंद प्रभु श्री अद्वैत, श्री गदाधर, श्री वासु को गांव-गांव और शहर-शहर में जाकर श्री हरिनाम संकीर्तन का प्रचार करने की शिक्षा दी। विश्व भर में श्री हरिनाम संकीर्तन श्री चैतन्य महाप्रभु की ही आचरण युक्त देन है। उन्होंने कलियुग के जीवों के मंगल के लिए ही उन्हें श्रीकृष्ण प्रेम प्रदान किया है, वह सांसारिक वस्तु प्रदाता नहीं बल्कि करुणा और भक्ति के प्रदाता हैं।

PunjabKesari kundli 

Related Story

Trending Topics

Bangladesh

Ireland

Match will be start at 31 Mar,2023 03:00 PM

img title img title

Everyday news at your fingertips

Try the premium service

Subscribe Now!