Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Oct, 2023 10:34 AM
वास्तु शास्त्र के अनुसार अतिथियों को वायव्य कोण के कक्ष में ठहराना चाहिए। वायव्य कोण के ग्रह, दिशा तथा देवता तीनों की प्रकृति चलायमान है। वायव्य
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Guest room Vastu tips: वास्तु शास्त्र के अनुसार अतिथियों को वायव्य कोण के कक्ष में ठहराना चाहिए। वायव्य कोण के ग्रह, दिशा तथा देवता तीनों की प्रकृति चलायमान है। वायव्य कोण का अधिपति चंद्रमा है, जो सर्वाधिक तीव्रगामी ग्रह हैं। वायव्य कोण वायु का स्थान भी है, जिसके अधिपति देव वायु हैं। इस दिशा में अतिथि को ठहराने से अतिथि स्वयं को सम्मानित महसूस करता है। अतिथि का सम्मान तथा मर्यादा तभी तक बनी रह पाती है, जब तक वह अतिथि रहे। अतिथि के इतर कुछ और बनने का प्रयास करने पर उसका मान-सम्मान भंग होता है।
Guest room location as per vastu: जिस प्रकार देवता का आह्वान, पूजन तथा विसर्जन किया जाता है, उसी प्रकार अतिथि का सम्मान भी किया जाता है, किन्तु वह तभी तक देव तुल्य रहता है जब तक देव मर्यादा (आह्वान, पूजन तथा विसर्जन) का पालन करता है। अत: आतिथ्य धर्म की मर्यादा बनी रहे, इसलिए अतिथियों को उत्तर, ईशान, पूर्व अथवा पश्चिम दिशा के कक्ष में भी ठहरा सकते हैं, परंतु सर्वोत्तम दिशा वायव्य कोण ही है।
How do you arrange a visitors room: अतिथियों को भूल कर भी दक्षिण, नैर्ऋत्य या आग्नेय कोण के कक्षों में नहीं ठहराना चाहिए। दक्षिण तथा नैर्ऋत्य कोणों में अतिथियों को ठहराने से वे लम्बे समय तक रुके रहते हैं तथा उचित आदर-सम्मान देने पर भी उपकार नहीं मानते। आग्नेय कोण में ठहराने पर मेजबान व मेहमान के पारम्परिक संबंध के कटु हो जाने की आशंका रहती है।
Colour of Guest room: अतिथि कक्ष का रंग हरा, नारंगी, गुलाबी, पीला (केसरिया) या श्वेत होना चाहिए। नीला, काला, भूरा या धूम्र रंग कदापि नहीं होना चाहिए।