Edited By Lata,Updated: 15 Jul, 2019 11:35 AM
हमारे हिंदू धर्म में भगवान और गुरु का एक समान माना गया है। क्योंकि एक गुरु ही होता है जो हमें परमात्मा से मिलाता है
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हमारे हिंदू धर्म में भगवान और गुरु का एक समान माना गया है। क्योंकि एक गुरु ही होता है जो हमें परमात्मा से मिलाता है और इस संसार रूपी भवसागर से हमें पार लगाता है। कहते हैं कि जो इंसान गुरु के बताए मार्ग पर चलता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों और पुराणों में कहा गया कि अगर भक्त से भगवान नाराज हो जाते हैं तो गुरु ही आपकी रक्षा और उपाय बताते हैं।
इस बात से तो सब वाकिफ ही होंगे कि आषाढ़ महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है और इस बार यह तिथि 16 जुलाई, 2019 दिन मंगलवार को पड़ रही है। इस दिन गुरु की पूजा और आराधना की जाती है। देश के कई हिस्सों में इसे अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। चलिए आगे जानते हैं इसकी महत्वता के बारे में।
गुरु पूर्णिमा पर जानें, महर्षि वेदव्यास से जुड़ी ये पौराणिक कथा
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा महाकाव्य महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है। वेदव्यास संस्कृत के महान ज्ञाता थे। सभी 18 पुराणों का रचयिता भी महर्षि वेदव्यास को माना जाता है। वेदों को विभाजित करने का श्रेय भी वेद व्यास को दिया जाता है। इसी कारण इनका नाम वेदव्यास पड़ा था। इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि गुरु का आशीर्वाद सबके लिए कल्याणकारी व ज्ञानवर्द्धक होता है, इसलिए इस दिन गुरु पूजन के उपरांत गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।