Indira Ekadashi 2025: पितृ दोष से पाना चाहते हैं मुक्ति तो इस एकादशी कर लें ये एक उपाय

Edited By Updated: 13 Sep, 2025 06:52 AM

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Indira Ekadashi 2025: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी मनाई जाती है। ऐसे में साल 2025 में इंदिरा एकादशी का व्रत  17 सितंबर को रखा जाएगा। ये व्रत पितृ पक्ष में आने वाली एकमात्र एकादशी होती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन...

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Indira Ekadashi 2025: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी मनाई जाती है। ऐसे में साल 2025 में इंदिरा एकादशी का व्रत  17 सितंबर को रखा जाएगा। ये व्रत पितृ पक्ष में आने वाली एकमात्र एकादशी होती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ-साथ यदि पितरों का तर्पण और दान किया जाए तो पूर्वज प्रसन्न होते हैं और साधक के जीवन से सभी तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं। ऐसा भी माना जाता है कि इंदिरा एकादशी के दिन कुछ खास उपाय करने से पुण्य कई गुना बढ़ जाता है और व्यक्ति को सुख-समृद्धि, शांति और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तो चलिए जानते हैं इस दिन कौन से उपाय करने चाहिए।

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यदि आपको ऐसा लगता है कि आपके पूर्वज आपसे खुश नहीं है तो ऐसे में तो इंदिरा एकादशी के दिन किसी योग्य पंडित से श्राद्ध कर्म करवाना शुभ माना जाता है। इस दिन तुलसी और पीपल के वृक्ष की विशेष पूजा करें। तुलसी के नीचे घी का दीपक और पीपल के पास सरसों के तेल का दीपक जलाना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इसके बाद वस्त्र, अन्न, धन या फल का दान करें। पूजा के समय पितरों का ध्यान करते हुए अपनी मनोकामना तीन से पांच बार अवश्य दोहराएं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और शीघ्र आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

अगर कोई लंबे समय से आर्थिक परेशानियों से जूझ रहा है, तो इंदिरा एकादशी को इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन प्रातः स्नान करने के बाद तुलसी की जड़ को पीले वस्त्र में लपेटें और फिर उसे मंदिर में मां लक्ष्मी के समक्ष अर्पित करें। कुछ समय बाद उस तुलसी की जड़ को अपनी तिजोरी में स्थापित करें। मान्यता है कि इस उपाय से आर्थिक संकट दूर होते हैं और धन वृद्धि के योग प्रबल होते हैं।

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 इसके अलावा अगर कोई कोई कार्य लंबे समय से अधूरा है या बार-बार प्रयास करने के बावजूद सफलता नहीं मिल रही है, तो इंदिरा एकादशी के दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का कम से कम 108 बार जप करना लाभकारी माना जाता है। मान्यता है कि इस साधना से पितरों को तृप्ति मिलती है और जीवन में रुके हुए कार्य पूरे होने लगते हैं।

अगर आपकी कुंडली में पितृ दोष है तो इसे दूर करने के लिए इस दिन श्राद्ध कर्म पूर्ण करने के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की श्रद्धा पूर्वक पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही पीपल के वृक्ष की जड़ पर गाय का कच्चा दूध अर्पित करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद पेड़ की 11 बार परिक्रमा करते हुए विष्णु मंत्र का जाप करें। पितरों को स्मरण कर उनसे अनजाने में हुई भूलों के लिए क्षमा याचना करें। ऐसा करने से परिवार को पितृ दोष से राहत और शुभ फल की प्राप्ति हो सकती है।

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