Inspirational Context: क्या पूर्व जन्म के कर्म, इस जन्म में भी करते हैं पीछा...

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Dec, 2023 10:35 AM

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हरी-भरी पहाड़ियों से घिरे कुंदनपुर के राजा अनिरुद्ध सिंह से जनता बहुत खुश रहती थी। राजा जब-तब अपने मंत्रियों से जनता के सुख-दुख के बारे में पूछता रहता। काफी मन्नतों के बाद उसके यहां एक बेटा हुआ।

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Inspirational Context: हरी-भरी पहाड़ियों से घिरे कुंदनपुर के राजा अनिरुद्ध सिंह से जनता बहुत खुश रहती थी। राजा जब-तब अपने मंत्रियों से जनता के सुख-दुख के बारे में पूछता रहता। काफी मन्नतों के बाद उसके यहां एक बेटा हुआ। उसका नाम रखा अविनाश सिंह। वह जन्म से ही कुरूप और एक हाथ व पैर में दिव्यांगता लिए था। राजा-रानी दोनों इतने यत्न के बाद हुए राजकुमार की शारीरिक स्थिति से दुखी रहते पर इसे ईश्वर की इच्छा मान संतुष्ट हो जाते।

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कई ज्योतिषियों ने जन्मपत्री के अनुसार बताया कि राजकुमार की यह दशा उसके पूर्व जन्म के कर्मों के कारण बनी है। राजकुमार 22 वर्ष का युवा हो गया। वह प्राय: शाम को अकेला ही सफेद घोड़े पर बैठ एकांत में वन विहार को निकल जाता। प्रकृति प्रेमी स्वभाव के चलते उसने सैर के लिए कभी अपनी विकलांगता को राह का रोड़ा नहीं बनने दिया। ऐसे ही एक दिन घूमने के लिए वह वन में बहुत अंदर तक चला गया। वहां कई घने पेड़ थे। पास में कलकल करती नदी बह रही थी। नदी के किनारे एक बड़ी-सी काले पत्थर की चट्टान थी। राजकुमार वहां का इतना अच्छा दृश्य देख घोड़े से उतर गया और उस ऊंची चट्टान पर जाकर बैठ गया। वह प्रकृति के सुन्दर नजारे का आनंद लेने लगा।

राजकुमार को प्यास लगी तो वह नदी की ओर हो लिया। नदी के शुद्ध, शीतल, मीठे जल से अपनी प्यास बुझाई। अभी वह पानी पीकर चट्टान की ओर बढ़ ही रहा था कि एकाएक तेज चमकीला प्रकाश नदी के जल से निकला। प्रकाश को देख वह चकित हो गया। प्रकाश के बीच से एक सुंदर युवती निकली। उसका मनमोहिनी रूप देख राजकुमार मोहित हो गया। वह नदी से बाहर निकल राजकुमार के साथ चट्टान पर बैठ गई।

‘‘तुम कौन हो सुन्दरी?’’ राजकुमार ने उसके बारे में जानना चाहा।

‘‘मैं एक परी हूं। कुछ वर्ष पहले इसी रूप में वन विहार के लिए यहां आई थी। नदी किनारे की इसी चट्टान पर एक साधु तपस्या में बैठे थे। मेरी चमक और पायल के घुंघरुओं की छम-छम आवाज से उन्होंने आंख खोल कर मुझे देखा। उन्हें लगा कि मैं उनकी तपस्या भंग करने आई हूं। बस यही सोच उन्होंने अपने जल पात्र से जल लेकर श्राप देकर इस नदी के जल में यह कहते हुए प्रवेश करा दिया कि ‘‘जब कभी कोई युवा राजकुमार यहां इस चट्टान पर बैठने के बाद नदी के जल से अपनी प्यास बुझाएगा, तभी तेरा फिर से प्रकटीकरण होगा। जब तुम राजकुमार को स्पर्श करोगी तो वह भी पूरी तरह शारीरिक क्षमता से अच्छा हो जाएगा और तुम्हारी तरह आकर्षक लगने लगेगा।’’

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कुछ ही देर में जब राजकुमार को युवती ने छुआ तो वह सच में आकर्षक शारीरिक क्षमता वाला युवक बन गया। तन के सभी दोष दूर हो गए और कुरूप चेहरा गोरा-सुंदर हो गया। अपने को पूरी तरह स्वस्थ देख राजकुमार ने युवती को खुशी से बाहों में समेट कर चूम लिया और अपनी रानी बनने का अनुरोध किया। युवती ने अपनी मुस्काती आंखों से स्वीकृति दे दी।

चट्टान से पश्चिम में सूर्यास्त का दृश्य सुहावना लग रहा था। राजकुमार इस दृश्य को देख प्रसन्नता से भर गया। उसने युवती का हाथ थामा और दोनों घोड़े पर सवार होकर राजमहल की ओर चल दिए।

आज राजकुमार को महल में पहुंचने में देरी हो गई थी। राजा-रानी चिंतित होने लगे। वह महल की छत पर घूमते राजकुमार की प्रतीक्षा करने लगे।

आखिर कुछ समय बाद जब राजकुमार राजमहल में पहुंचा तो राजा-रानी भी नीचे उतर आए। वे राजकुमार के साथ सुंदर युवती को देख चकित रह गए। महल के अंदर जाने लगे तो राजा-रानी ने यह भी देखा कि राजकुमार का चेहरा आर्कषक हो गया है। हाथ-पैर भी बिल्कुल सामान्य हो गए।

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राजकुमार ने राजा-रानी को युवती का परिचय देते हुए बताया कि ‘‘मैं जो कुछ ठीक लग रहा हूं, वह सब इसके कारण संभव बन पड़ा है। शरीर की सारी कमियां दूर होकर आकर्षक बना हूं।’’

राजा-रानी खुश हो गए। यह सब ईश्वर की कृपा हुई, जिससे राजकुमार ठीक हो गया और उसे एक सुंदर युवती मिल गई। एक अच्छे दिन दोनों का विवाह धूमधाम से सम्पन्न हो गया। अब राजा-रानी अपना भावी जीवन चिंता मुक्त बिताने लगे।

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