Kaal Bhairav Jayanti 2025: काल भैरव जयंती कब है ? जानें शुभ मुहूर्त और तिथि

Edited By Updated: 06 Nov, 2025 05:00 AM

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Kaal Bhairav Jayanti 2025: काल भैरव जयंती का दिन भगवान शिव के एक भयंकर और शक्तिशाली स्वरूप, भगवान काल भैरव के जन्म का उत्सव होता है। यह दिन भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिन काल भैरव की आराधना करने से भय, नकारात्मक ऊर्जा और सभी...

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Kaal Bhairav Jayanti 2025: काल भैरव जयंती का दिन भगवान शिव के एक भयंकर और शक्तिशाली स्वरूप, भगवान काल भैरव के जन्म का उत्सव होता है। यह दिन भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिन काल भैरव की आराधना करने से भय, नकारात्मक ऊर्जा और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, काल भैरव जयंती हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इसे 'काल भैरव अष्टमी' या कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।

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Kala Bhairava Jayanti date काल भैरव जयंती 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त

काल भैरव जयंती 2025- बुधवार, 12 नवंबर 2025
ष्टमी तिथि प्रारम्भ, मंगलवार- 11 नवंबर 2025 को रात्रि 11 बजकर 08 मिनट पर
अष्टमी तिथि समाप्त, बुधवार- 12 नवंबर 2025 को रात्रि 10 बजकर 58 मिनट पर

काल भैरव जयंती का महत्व
भगवान काल भैरव को भगवान शिव का ही एक रौद्र रूप माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने काल भैरव के रूप में अवतार लिया था। उन्हें काशी का कोतवाल भी कहा जाता है और मान्यता है कि काशी में उनकी अनुमति के बिना कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता। काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के भय, शत्रु बाधाएं और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। काल का अर्थ है समय और भैरव इसके नियंत्रक हैं। उनकी पूजा से जीवन में समय का सही उपयोग करने और कार्यों को समय पर पूरा करने की प्रेरणा मिलती है।

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Kaal Bhairav ​​Jayanti काल भैरव जयंती पर पूजा विधि

 सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें और व्रत या पूजा का संकल्प लें।

भगवान काल भैरव की प्रतिमा या चित्र को एक स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें। उनके वाहन काले कुत्ते की भी पूजा की जाती है।

भगवान भैरव को विशेष रूप से सरसों के तेल का दीपक अर्पित करें। इसके साथ ही, उड़द दाल से बनी वस्तुएं, इमरती, जलेबी, पान, नारियल और काले तिल चढ़ाए जाते हैं।

 इस दिन ॐ कालभैरवाय नमः' मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। काल भैरव अष्टक या भैरव चालीसा का पाठ करना भी बहुत फलदायी होता है।

पूजा के अंत में भगवान काल भैरव की आरती करें और उनसे जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।

इस दिन काले कुत्ते को भोजन कराना बहुत शुभ माना जाता है। गरीबों और जरूरतमंदों को अपनी क्षमतानुसार दान अवश्य करना चाहिए।

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