Kokila Vrat: मनचाहा वर और पति की लंबी उम्र देता है ये व्रत, पढ़ें कथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Jul, 2023 07:19 AM

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हमारी सनातन संस्कृति में व्रतों का बहुत महत्व है और अधिकतर व्रत महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु, सुखद दांपत्य और खुशहाल जीवन के लिए रखे जाते हैं। कई व्रत कुंवारी लड़कियों द्वारा मनचाहा सर्वगुण संपन्न

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Kokila Vrat 2023: हमारी सनातन संस्कृति में व्रतों का बहुत महत्व है और अधिकतर व्रत महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु, सुखद दांपत्य और खुशहाल जीवन के लिए रखे जाते हैं। कई व्रत कुंवारी लड़कियों द्वारा मनचाहा सर्वगुण संपन्न पति पाने की इच्छा मन में रखकर किए जाते हैं। ऐसा ही एक व्रत कोकिला के नाम से भी है, जो पूरे सावन भर में मनाया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि इस व्रत में आदिशक्ति के स्वरूप रूप कोयल की पूजा का विधान है। 

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2 जुलाई, 2023 रविवार को कोकिला व्रत है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पति की दीर्घायु होती है। इसके अलावा इस व्रत को रखने से मनोवांछित फल की प्राप्ति भी होती है। ऐसी मान्यता भी है कि इस व्रत को रखने से सौंदर्य में भी वृद्धि होती है क्योंकि व्रत में कई विशेष जड़ी-बूटियों से नहाने का विधान है।  

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Kokila Vrat katha: एक दंतकथा के अनुसार इस व्रत की शुरुआत माता पार्वती ने की थी और उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए यह व्रत रखा था। ऐसी मान्यता भी है कि मां पार्वती अपने जन्म को लेने से पहले करीब 10 हजार सालों तक कोयल बनकर नंदन वन में भटकती रही थी और इस दौरान उन्होंने वन में ही शिव की आराधना की थी। जिसके बाद उनका जन्म पर्वतराज हिमालय के घर हुआ।

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एक पौराणिक कथा के अनुसार राजा दक्ष के घर में पार्वती का सती रूप में जन्म हुआ था और जब उसकी शादी की बात आई तो राजा दक्ष की इच्छा के विपरीत पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में चुना। राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया जिसमें पार्वती और शिव दोनों को ही आमंत्रित नहीं किया गया। पार्वती को इस यज्ञ की जानकारी हुई तो उन्होंने भगवान शिव से इस यज्ञ में उन्हें जाने की अनुमति देने का हठ किया। शिव ऐसा नहीं चाहते थे लेकिन पार्वती के हठ के दृष्टिगत उन्होंने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। कहा जाता है पार्वती जब यज्ञ स्थल पर पहुंची तो वहां उनका कोई उचित मान सम्मान नहीं किया गया। यही नहीं , भगवान शिव के प्रति वहां बोले गए अपमानजनक शब्दों से वह अत्यंत कुंठित हुई और यज्ञ की वेदी में ही अपनी आहुति दे दी। 

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कहा जाता है कि जब भगवान माता सती के सतीत्व का पता चला तो उन्होंने गुस्से में आकर उसे यह श्रॉप दे दिया कि मेरी इच्छाओं के विरुद्ध अपनी आहुति देने के लिए आपको 10 हजार साल तक कोयल बनकर वन में भटकना होगा। उन्होंने वन में भटकते हुए भगवान शिव की आराधना की। शिव के प्रसन्न होने पर वह श्राप मुक्त हुई। जिसके बाद उनका जन्म पर्वतराज हिमालय के घर हुआ। फिर शिव के साथ उनका विवाह हुआ। 

इसी कथा के आधार पर आज भी महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और मनचाहा पति पाने के लिए कोकिला व्रत रखती हैं। इस दौरान कई वन औषधियों को पानी में मिलाकर स्नान करने का विधान है। प्रत्येक दिन स्नान के बाद महिलाओं द्वारा कोयल की पूजा की जाती है।

गुरमीत बेदी
gurmitbedi@gmail.com

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