Edited By Jyoti,Updated: 06 Aug, 2022 11:23 AM
एक बार भगवान गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ किसी गांव में कुछ दिनों के लिए रुक गए। वह प्रतिदिन शाम को अपने शिष्यों को उपदेश देते। जैसे ही गांव वालों को यह बात पता चली, वे भी उपदेश सुनने के लिए आने लगे।
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एक बार भगवान गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ किसी गांव में कुछ दिनों के लिए रुक गए। वह प्रतिदिन शाम को अपने शिष्यों को उपदेश देते। जैसे ही गांव वालों को यह बात पता चली, वे भी उपदेश सुनने के लिए आने लगे।
एक व्यक्ति रोज उपदेश सुनने के लिए आता था। एक दिन भगवान की धर्म सभा खत्म होने के बाद वह व्यक्ति बोला, ‘‘आप रोज हमें अच्छे-अच्छे उपदेश देते हैं लेकिन इसका मेरे ऊपर असर नहीं हो रहा है। इनको सुनने के बाद भी मैं अच्छा व्यक्ति नहीं बन पाया हूं।’’
इसके बाद गौतम बुद्ध ने पूछा, क्या आप इस गांव के रहने वाले हो? व्यक्ति बोला, नहीं मैं दूसरे गांव से आया हूं। गौतम बुद्ध ने एक और सवाल करते हुए पूछा अपने गांव कैसे जाते हो? उसने बताया कि वह पैदल जाता है।
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पूरी बात सुनने के बाद गौतम बुद्ध बोले क्या तुम यहां बैठे-बैठे अपने गांव पहुंच सकते हो? व्यक्ति ने हंसते हुए उत्तर दिया, यह कैसे हो सकता है। बिना चले मैं अपने गांव तक कैसे पहुंच सकता हूं।
तब गौतम बुद्ध ने व्यक्ति को समझाते हुए कहा, जिस तरह से आप चलने पर ही अपने गांव वापस जा सकते हो उसी तरह से मेरे प्रवचन सुनने के बाद अगर उन पर अमल करोगे तभी अच्छे इंसान बन सकते हो। केवल प्रवचन सुनने से कोई भी अच्छा इंसान नहीं बनता है। अच्छी बातें सुनने का फल तभी मिलता है जब आप उन्हें अपने जीवन में उतारा जाए।