इतिहास के झरोखे से जानें, मकर संक्रांति से जुड़ी रोचक बातें

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Jan, 2023 08:02 AM

makar sankranti

मकर संक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है जिसे संपूर्ण भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तब

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मकर संक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है जिसे संपूर्ण भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तब इस पर्व को मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य उत्तरायण की ओर गति करता है इसलिए इस पर्व को उत्तरायणी भी कहते हैं। सूर्य कैलेंडर के अनुसार इस अवधि में दिन और रात बिल्कुल बराबर होते हैं। ज्योतिष के अनुसार मकर से अभिप्राय मकर राशि से है तथा संक्रांति से अभिप्राय परिवर्तन से है। संक्रांति प्रत्येक महीने में होती है जबकि सूर्य एक राशि से दूरी राशि में प्रवेश करता है। उत्तरी गोलाद्र्ध में शीतकालीन आयनांत के दौरान सूर्य का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश मकर संक्रांति के रूप में जाना जाता है।

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हिन्दू ग्रंथों में इस दिन का विशेष महत्व है। भीष्म पितामह ने मृतक शैय्या पर लेटे हुए इसी दिन को अपने प्राण त्यागने हेतु चुना था। ऐसा विश्वास किया जाता है कि जो व्यक्ति उत्तरायण अवधि में मृत्यु को प्राप्त करता है वह जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है। 
 
गीता के अनुसार जो व्यक्ति उत्तरायण में शरीर का त्याग करता है वह श्रीकृष्ण के परम धाम में वास करता है। पुराणों के अनुसार इस दिन सूर्य भगवान एक पिता के रूप में अपने पुत्र शनि के यहां मिलने जाते हैं तथा वहां एक माह का निवास भी करते हैं इसीलिए इस दिन को पिता-पुत्र संबंधों के लिए विशेष रूप में जाना जाता है।
 
तमिलनाडु में इसे पोंगल के नाम से जाना जाता है जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे सिर्फ संक्रांति नाम से ही जाना जाता है। नेपाल में इसे माधे संक्रांति, सूर्योत्तरायण और थारू समुदाय में माघी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भारत के कुछ हिस्सों में पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व है। 
 
मकर संक्रांति का ज्योतिष की दृष्टि से भी विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं और यह तारीख ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार लगभग 14 जनवरी पर ही होता है। पारंपरिक भारतीय कैलेंडर मूलत: चंद्रमा की अवस्थाओं पर आधारित है लेकिन संक्रांति सूर्य पर आधारित होती है। इसी कारण ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार सभी हिंदू त्यौहारों की तारीख बदलती रहती है लेकिन मकर संक्रांति की तारीख सामान्यत: काफी समय से प्रत्येक वर्ष की तारीख 14 जनवरी पर ही स्थिर है। वर्ष 2023 में जनवरी की 15 तारीख रविवार के दिन मकर संक्रांति का पावन पर्व मनाया जा रहा है। वैसे बहुत सारे स्थानों पर 14 जनवरी को भी यह पर्व मनाया गया।
 
उत्तर प्रदेश में यह अवसर दान पर्व के रूप में मनाया जाता है। इलाहाबाद में इस पर्व को माघ मेले के नाम से जाना जाता है। माघ मेले का पहला स्नान मकर संक्रांति से शुरू होकर शिवरात्रि तक चलता है। संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद दान को महत्वपूर्ण माना जाता है। उत्तर भारत में पहले इस माह में शादी-ब्याह नहीं होते थे लेकिन समय के साथ परम्पराएं भी बदल गई हैं। इस दिन तिल के मिष्ठान आदि को ब्राह्मणों व पूज्य व्यक्तियों को दान दिया जाता है। सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में यह पर्व खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन तिल व तिल से बनी चीजों के दान के साथ खिचड़ी का दान भी विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। महाराष्ट्र में नवविवाहिताएं इस दिन कपास, तेल व नमक आदि चीजें अन्य सुहागिन स्त्रियों को दान करती हैं। तिल-गुड़ नामक हलवे के बांटने की भी प्रथा है।
 
लोग एक-दूसरे को तिल-गुड़ देते हैं और कहते हैं तिल गुड़ लो और मीठा-मीठा बोलो। बंगाल में इस पर्व पर गंगासागर में प्रतिवर्ष भव्य मेला आयोजित किया जाता है। 
 
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