Edited By Jyoti,Updated: 15 Feb, 2020 11:32 AM
जीवन को सफल एवं सार्थक बनाने के लिए हमें उसे नया आयाम देना होगा। स्वयं की शक्ति को पहचानना होगा,
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जीवन को सफल एवं सार्थक बनाने के लिए हमें उसे नया आयाम देना होगा। स्वयं की शक्ति को पहचानना होगा, आत्म साक्षात्कार करना होगा तथा अपने अंदर ऊर्जा केन्द्र स्थापित करना होगा, जहां हर शब्द नया वेग और हर दिव्य, भव्य और नव्य महाशक्ति हमारे साथ चलायमान होगी।
जर्मन लेखक गोइथे ने कहा, 'जिस पल कोई व्यक्ति खुद को पूर्ण रूप से समर्पित कर देता है, ईश्वर भी उसके साथ चलता है।' उपयोगी जीवन जीने वालों ने इसी तरह सदा अपने वर्तमान को आनंदमय एवं सार्थक बनाया है। शक्ति का सदुपयोग करने वालों ने वर्तमान को दमदार और भविष्य को शानदार बनाया है। मगर अफसोस इस बात का है कि शक्ति और समय का दुरुपयोग करने वाले न तो वर्तमान में सुख से जी सकते हैं और न ही अपने भविष्य को चमकदार बना सकते हैं।
जो कुछ आपके पास है उससे दूसरों को खुश रखते हुए स्वयं को भी खुशी दे सकते हैं। यही है स्वयं की स्वयं के प्रति एवं अपने अस्तित्व के गहनतम तल में डुबकी लगाने की वास्तविक जागृति। यह ऊर्जा अन्य सभी तलों की ऊर्जा की अपेक्षा सर्वोपरि है। इसी में सामर्थ्य से अधिक पाने की क्षमता है। मनुष्य की सार्थकता केवल सांसों का बोझ ढोने से नहीं होगी तथा केवल योजनाएं बनाने से भी काम नहीं चलेगा, उसके लिए नजरिए को साफ करना होगा। अपने स्वार्थों को त्याग कर परमार्थ चेतना से जुड़ना होगा।
इसके बिना बात नहीं बनेगी। सच्चाई यह है कि जिसे हमने सुख का साधन मान रखा है, वह हमें सुख नहीं दे रहा है, जो है उसे छोड़कर, जो नहीं है उस ओर भागना हमारा स्वभाव है। फिर चाहे कोई चीज हो या रिश्ते। यूं आगे बढ़ना अच्छी बात है पर कई बार सब मिल जाने के बावजूद वही कोना खाली रह जाता है जो हमारा अपना होता है।