Navratri 6th Day: मनचाहा साथी प्राप्त करने के लिए नवरात्रि का छठा दिन है खास, बस करना होगा ये छोटा सा काम

Edited By Updated: 03 Apr, 2025 06:32 AM

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Navratri 2025 Day 6: मां कात्यायनी की पूजा से न सिर्फ मनचाहे साथी की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में संतान सुख, प्रेम और समृद्धि भी मिलती है। इस दिन अगर सही तरीके से पूजा की जाए और उचित उपायों का पालन किया जाए, तो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और...

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Navratri 2025 Day 6: मां कात्यायनी की पूजा से न सिर्फ मनचाहे साथी की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में संतान सुख, प्रेम और समृद्धि भी मिलती है। इस दिन अगर सही तरीके से पूजा की जाए और उचित उपायों का पालन किया जाए, तो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और खुशहाली मिलती है। चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व है। मां कात्यायनी का नाम "कात्यायनी" इस वजह से पड़ा क्योंकि वे ऋषि कात्यायन की बेटी थीं। उनके बारे में कई शास्त्रों और पुराणों में उल्लेख किया गया है, जिनमें मुख्य रूप से देवी भागवत और स्कन्द पुराण शामिल हैं।

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Worship of Maa Katyayani गोपियों द्वारा मां कात्यायनी की पूजा: गोपियों ने जब भगवान श्री कृष्ण के साथ विवाह का सपना देखा था तो उन्हें इस मार्ग में अनेक विघ्नों का सामना करना पड़ा। इसलिए उन्होंने मां कात्यायनी की पूजा की थी, ताकि वे कृष्ण के साथ अपनी जोड़ी बना सकें और अपने मनचाहे साथी को प्राप्त कर सकें। भगवान श्री कृष्ण की प्राप्ति के लिए और उनके साथ विवाह के उद्देश्य से उन्होंने विशेष रूप से मां कात्यायनी की उपासना की थी। यह पूजा प्रेम, भक्ति और कृष्ण के प्रति अटूट श्रद्धा का प्रतीक मानी जाती है।

मां कात्यायनी का पूजन विवाह के योग को उत्तेजित करने और एक आदर्श जीवनसाथी प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यही कारण है कि विशेष रूप से विवाह योग्य लड़कियां इस दिन मां कात्यायनी की पूजा करती हैं।

मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा कालिन्दी-यमुना के तट पर की थी। यह ब्रजमण्डल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इनका स्वरूप अत्यन्त ही भव्य और दिव्य है। इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला और भास्वर है। इनकी चार भुजाएं हैं। माता जी का दाहिनी ओर का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है और नीचे वाला वरमुद्रा में है। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। इनका वाहन सिंह है। 

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Follow these steps to get your desired partner मनचाहा साथी प्राप्त करने के लिए करें ये उपाय: जिनके विवाह में विलंब हो रहा है, जो लड़कियां प्रेम विवाह को अरेंज मैरिज में बदलना चाहती हैं या मनचाहा वर पाने के लिए नवरात्रि की षष्ठी तिथि पर मां कात्यायनी की पूजा करें। विद्वान कहते हैं जो सच्चे ह्रदय से विधि-विधान एवं श्रद्धापूर्वक मां कात्यायनी की उपासना करता है। अगले चैत्र नवरात्रि वे अपने जीवनसाथी के साथ पूजा करता है। 

मनचाहे साथी के लिए नवरात्रि के छठे दिन उपवासी रहकर दिन भर पूजा करें और रात्रि को एक दीपक जलाएं। दीपक के पास बैठकर देवी की पूजा करें और फिर उसकी लौ में अपनी इच्छा को प्रकट करें। इसके अतिरिक्त मां को 16 श्रृंगार का सामान भेंट करने के बाद किसी ब्राह्मण महिला को भेंट स्वरूप दे दें।

देवी कात्यायनी की पूजा में सच्चे प्रेम और समर्पण की भावना होनी चाहिए। यदि आप किसी से सच्चा प्रेम करती हैं, तो उनकी आस्था और विश्वास को ध्यान में रखते हुए पूजा करें। इस दिन किसी भी प्रकार के बुरे विचारों या नकारात्मकता को अपने मन से बाहर निकाल दें और अपने मन में एक शुद्ध भावना रखें।

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Maa Katyayani Mantra मां कात्यायनी के मंत्रों का जाप करें: अगर आप विवाह योग्य हैं और अपने मनचाहे साथी की तलाश कर रही हैं, तो इस दिन मां कात्यायनी के मंत्र का जाप करें: "ॐ कात्यायनी महायोगिनि महाशक्ते महादेवी महाप्रकाशे महापूज्ये महावीर्ये महामाया महेश्वरी महासिद्धे महाक्रूरे महाज्ञे महाकर्मे महादुखहर्त्री महादेवि महाप्राप्ति।"

इस मंत्र का प्रतिदिन कम से कम 108 बार जाप करें। इससे आपकी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं और आपका विवाह एक अच्छे और योग्य व्यक्ति से होगा।

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Worship of Maa Katyayani मां कात्यायनी की आरती
जय कात्यायनि मां, मैया जय कात्यायनि मां
उपमा रहित भवानी, दूं किसकी उपमा ॥
मैया जय कात्यायनि, गिरजापति शिव का तप, असुर रम्भ कीन्हां
वर-फल जन्म रम्भ गृह, महिषासुर लीन्हां ॥
मैया जय कात्यायनि, कर शशांक-शेखर तप, महिषासुर भारी
शासन कियो सुरन पर, बन अत्याचारी ॥
मैया जय कात्यायनि, त्रिनयन ब्रह्म शचीपति, पहुंचे, अच्युत गृह
महिषासुर बध हेतू, सुर कीन्हौं आग्रह ॥
मैया जय कात्यायनि, सुन पुकार देवन मुख, तेज हुआ मुखरित
जन्म लियो कात्यायनि, सुर-नर-मुनि के हित ॥
मैया जय कात्यायनि, अश्विन कृष्ण-चौथ पर, प्रकटी भवभामिनि
पूजे ऋषि कात्यायन, नाम का त्यायिनि ॥
मैया जय कात्यायनि, अश्विन शुक्ल-दशी को, महिषासुर मारा 

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