Papankusha Ekadashi: पापों के नाश और पुण्य लाभ की श्रेष्ठ तिथि है पापांकुशा एकादशी, आप भी उठाएं लाभ

Edited By Updated: 03 Oct, 2025 07:19 AM

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Papankusha Ekadashi 2025: हिंदू शास्त्रों और पुराणों में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। वर्ष भर में 24 एकादशी आती हैं और प्रत्येक एकादशी किसी न किसी रूप में पापों के नाश तथा मोक्ष की प्राप्ति का साधन मानी जाती है। आश्विन शुक्ल पक्ष की...

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Papankusha Ekadashi 2025: हिंदू शास्त्रों और पुराणों में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। वर्ष भर में 24 एकादशी आती हैं और प्रत्येक एकादशी किसी न किसी रूप में पापों के नाश तथा मोक्ष की प्राप्ति का साधन मानी जाती है। आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते हैं। जो इस साल 3 अक्टूबर 2025 शुक्रवार को है। पद्म पुराण और स्कंद पुराण में इस दिन का खास महत्व वर्णित है। कहा गया है कि इस व्रत से मनुष्य जाने-अनजाने हुए पापों से मुक्त होता है और विष्णु लोक की प्राप्ति करता है।

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Papankusha Ekadashi Significance: पापांकुशा एकादशी 2025 केवल उपवास का दिन नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और ईश्वर से जुड़ने का श्रेष्ठ अवसर है। इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति में लीन होकर यदि हम सच्चे मन से प्रार्थना करें और सेवा-दान करें, तो हमारे पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सुख, शांति तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि किसी व्यक्ति से जाने-अनजाने गलतियां या पाप हो गए हों, तो पापांकुशा एकादशी वह अवसर है जब वह ईश्वर की शरण में जाकर क्षमा मांग सकता है। व्रत, पूजा, जप और दान के माध्यम से हर आयु वर्ग का व्यक्ति इस दिन अपने जीवन को शुद्ध और पवित्र बना सकता है।

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Do this work on Papankusha Ekadashi पापांकुशा एकादशी पर करें ये काम
स्नान और संकल्प – प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की आराधना का संकल्प लें। संकल्प में यही भाव रखें कि इस व्रत के द्वारा आप अपने पापों से मुक्ति और पुण्य संचय करेंगे।

व्रत और उपवास – इस दिन व्रत का विशेष महत्व है। यदि पूर्ण उपवास संभव न हो तो फलाहार करें। सात्त्विक आहार लें, तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस, शराब आदि) से दूर रहें। व्रत के साथ संयम और सदाचार भी आवश्यक है।

भगवान विष्णु की पूजा – पापांकुशा एकादशी पर विशेष रूप से भगवान पद्मनाभ या श्रीहरि विष्णु की पूजा करनी चाहिए। तुलसीदल, पीला फूल, पीत वस्त्र और धूप-दीप अर्पित करें। मंत्र "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जप करने से पापों का नाश होता है।

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ध्यान और कथा श्रवण – दिनभर मन को शुद्ध और शांत रखें। श्रीविष्णु सहस्रनाम, गीता पाठ या भागवत कथा का श्रवण करें। ऐसा करने से अनजाने पाप भी नष्ट होते हैं और मन को शांति मिलती है।

दान-पुण्य – इस दिन दान का भी अत्यंत महत्व है। भोजन, वस्त्र, अनाज या धन जरूरतमंदों को दान करें। शास्त्रों में कहा गया है कि दान से पाप कटते हैं और पुण्य कई गुना बढ़ता है।

जागरण और भजन कीर्तन – रात्रि को जागरण कर भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करना शुभ माना गया है। इससे पापों का क्षय और पुण्य संचय होता है।

शास्त्रों का मत
पद्म पुराण में कहा गया है कि पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सभी पाप भस्म हो जाते हैं और उसे कभी यमलोक की यातना नहीं सहनी पड़ती। विष्णु भक्त प्रह्लाद ने भी इस व्रत की महिमा का वर्णन किया है। यह व्रत केवल व्यक्ति को पापमुक्त ही नहीं करता बल्कि उसे दीर्घायु, सुख और समृद्धि भी प्रदान करता है।

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