Paryushan Parv 2025: पर्यूषण पर्व के दौरान क्यों करते हैं जैन तपस्या, उपवास और ध्यान ?

Edited By Updated: 06 Sep, 2025 01:16 PM

paryushan parv 2025

Paryushan Parv 2025: पर्यूषण पर्व, जैन समाज का एक महत्वपूर्ण पर्व है। जैन धर्मावलंबी भाद्रपद मास में पर्यूषण पर्व मनाते हैं। ये पर्यूषण पर्व 10 दिन चलते हैं। 12वें दिन जैन धर्म के लोगों का महत्वपूर्ण त्यौहार संवत्सरी पर्व मनाया जाता है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Paryushan Parv 2025: पर्यूषण पर्व, जैन समाज का एक महत्वपूर्ण पर्व है। जैन धर्मावलंबी भाद्रपद मास में पर्यूषण पर्व मनाते हैं। ये पर्यूषण पर्व 10 दिन चलते हैं। 12वें दिन जैन धर्म के लोगों का महत्वपूर्ण त्यौहार संवत्सरी पर्व मनाया जाता है। इस दिन यथा शक्ति उपवास रखा जाता है। पर्यूषण पर्व की समाप्ति पर संवत्सरी (क्षमायाचना) पर्व मनाया जाता है। पर्युषण पर्व, जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक विकास के लिए मनाया जाता है। इस दौरान, जैन धर्मावलंबी उपवास, तपस्या, ध्यान और आत्म-चिंतन करते हैं और जाने-अनजाने हुए पापों के लिए क्षमा मांगते हैं। यह पर्व, जैनियों को अपने जीवन पर चिंतन करने और दूसरों से क्षमा मांगने का अवसर प्रदान करता है। 

PunjabKesari Paryushan Parv 2025

पर्युषण पर्व क्यों मनाया जाता है:
आत्मा की शुद्धि : पर्युषण पर्व का मुख्य उद्देश्य आत्मा को शुद्ध करना है, ताकि वह अपने वास्तविक स्वरूप को प्राप्त कर सके। 

क्षमा याचना : इस पर्व में जैन धर्मावलंबी अपने पिछले गलत कामों के लिए क्षमा मांगते हैं और दूसरों को क्षमा करते हैं। 

आध्यात्मिक विकास : पर्युषण पर्व, जैनियों को आध्यात्मिक रूप से विकसित होने और अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करता है।
 
तपस्या और ध्यान
: इस दौरान, जैन धर्मावलंबी उपवास, तपस्या और ध्यान करते हैं, जिससे उनका मन और शरीर शुद्ध होता है। 

आत्म-चिंतन : पर्युषण पर्व, जैनियों को अपने जीवन, कर्मों और विचारों पर चिंतन करने का अवसर प्रदान करता है।

संवत्सरी: पर्युषण पर्व का अंतिम दिन, संवत्सरी कहलाता है, जिस दिन जैन धर्मावलंबी एक-दूसरे से क्षमा मांगते हैं। 

PunjabKesari Paryushan Parv 2025

पर्युषण पर्व का महत्व:
धर्म का पालन: यह पर्व, जैन धर्म के सिद्धांतों, जैसे अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए प्रेरित करता है। 

द्गुणों का विकास: पर्युषण पर्व, जैनियों को क्षमा, दया, प्रेम, करुणा और मैत्री जैसे सद्गुणों को विकसित करने में मदद करता है। 

सामाजिक सद्भाव: यह पर्व, सामाजिक सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा देता है, क्योंकि लोग एक-दूसरे से क्षमा मांगते हैं और माफ करते हैं। 

मोक्ष की प्राप्ति: जैन धर्म में, पर्युषण पर्व को मोक्ष (मुक्ति) की प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। 

पर्युषण पर्व का आयोजन :श्वेतांबर जैन, पर्युषण पर्व को आठ दिनों तक मनाते हैं, जिसे अष्टान्हिका कहते हैं, जबकि दिगंबर जैन इसे दस दिनों तक मनाते हैं, जिसे दशलक्षण पर्व कहते हैं। इस दौरान, जैन मंदिरों में विशेष पूजा, अर्चना, प्रवचन और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

अंकुर जैन, ग्वालियर 

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!