Edited By Sarita Thapa,Updated: 29 Nov, 2025 08:25 AM

वृंदावन के पूज्य संत प्रेमानंद जी महाराज, अपने प्रवचनों में मन को नियंत्रित करने के महत्व और उसकी विधि पर विस्तार से प्रकाश डालते हैं।
Premanand Maharaj Mind Control Tips: वृंदावन के पूज्य संत प्रेमानंद जी महाराज, अपने प्रवचनों में मन को नियंत्रित करने के महत्व और उसकी विधि पर विस्तार से प्रकाश डालते हैं। महाराज जी के अनुसार, मन अत्यंत चंचल और शक्तिशाली होता है और इसे ईश्वर की ओर उन्मुख करना ही वास्तविक जीवन का लक्ष्य है। उन्होंने मन को नियंत्रित करने का जो सरल और प्रभावी तरीका बताया है, वह भक्ति और निरंतर अभ्यास पर आधारित है।
श्री नाम का निरंतर जाप
जब भी आप खाली बैठें, कोई काम कर रहे हों, या यहां तक कि बोल न रहे हों, तो मन में अपने इष्टदेव के नाम का जाप करते रहें। महाराज जी कहते हैं कि मन खाली होते ही संसार की तुच्छ बातों और वासनाओं में भटकने लगता है। नाम जाप से मन को एक पवित्र कार्य में व्यस्त रखा जाता है। जब मन भटकने लगे तो भगवान से विनम्र प्रार्थना करें कि वे आपके मन को अपने चरणों में लगाए रखें।
सत्संग और एकांतवास
मन पर नियंत्रण के लिए सत्संग अत्यंत आवश्यक है। सत्संग से मन को सही विवेक और मार्गदर्शन मिलता है। कुछ समय एकांत में बिताए, जहां आप केवल अपने इष्टदेव का ध्यान कर सकें। यह अभ्यास मन को बाहरी शोरगुल और भटकावों से दूर रखता है।

वैराग्य की भावना
मन को संसार की वस्तुओं से तभी हटाया जा सकता है जब आप संसार की क्षणिकता और दुःख को समझेंगे। वैराग्य का अर्थ यह नहीं कि आप घर छोड़ दें, बल्कि यह कि आप सांसारिक परिणामों और वस्तुओं के प्रति आसक्ति न रखें। मन को समझाएं कि संसार की चीजें स्थायी नहीं हैं।
मन को कंट्रोल करने के फायदे
नियंत्रित मन ही शांति का अनुभव कर सकता है। जब मन विषयों में नहीं भटकता, तो आंतरिक आनंद की अनुभूति होती है। मन वश में होने पर आप अपने लक्ष्य पर बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। भटकता मन ही भय, चिंता और तनाव पैदा करता है। नियंत्रण से ये सभी मानसिक विकार दूर हो जाते हैं। महाराज जी के अनुसार, मन को वश में करने का अंतिम लक्ष्य ईश्वर की प्राप्ति या भक्ति में लीन होना है। नियंत्रित मन ही भगवान के प्रेम में स्थिर हो पाता है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ