भाद्रपद अमावस्या: रानी सती दादी मंदिर में होता है महोत्सव, लाखों लोग होते हैं शामिल

Edited By Jyoti,Updated: 30 Aug, 2019 04:56 PM

rani sati dadi temple at rajasthan

आज यानि 30 सिंतबर को भाद्रपद की अमावस्या मनाई जा रही है। इस दिन दान-पुण्य आदि का अधिक महत्व माना जाता है। यूं तो प्रत्येक मास की अमावस्या तिथि का अपना विशेष महत्व होता है।

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आज यानि 30 सिंतबर को भाद्रपद की अमावस्या मनाई जा रही है। इस दिन दान-पुण्य आदि का अधिक महत्व माना जाता है। यूं तो प्रत्येक मास की अमावस्या तिथि का अपना विशेष महत्व होता है। मगर भाद्रपद माह की अमावस्या की अपनी अलग ही खासियत है। ज्योतिष के अनुसार इस माह की अमावस्या पर धार्मिक कार्यों के लिए कुश एकत्रित की जाती है। ऐसी मान्यता है कि धार्मिक कार्यों, श्राद्ध कर्म आदि में इस्तेमाल की जाने वाली घास अगर इस दिन एकत्रित की जाएं तो वह वर्षभर तक पुण्य फलदायी होती है। कुश एकत्रित करने के कारण ही इसे कुशग्रहणी अमावस्या कहा जाता है। पौराणिक ग्रंथों में इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहा गया है। शास्त्रों में दस प्रकार की कुशों का उल्लेख मिलता है-
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कुशा:काशा यवा दूर्वा उशीराच्छ सकुन्दका:।
गोधूमा ब्राह्मयो मौन्जा दश दर्भा: सबल्वजा:।।

देश के बहुत से हिस्सों में भाद्रपद अमावस्या मनाई जाती है। मगर राजस्थान के झुंझुनू में रानी सती दादी मंदिर में भादो मास की अमावस्या को उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस साल भी 30 अगस्त को यह उत्सव मनाया जा रहा है। जिसकी जोरो-शोरों से तैयारियां भी की गई। बता दें राणी सती मंदिर में हर साल मनाया जाने वाला भादो उत्सव देशभर में प्रसिद्ध है। इस बार शुक्रवार को होने वाले मंगलपाठ के लिए प्रसिद्ध गायक बुलाए गए हैं। श्री राम मंदिर और राणी सती दादी मंदिर समिति के अनुसार मंगलपाठ शुक्रवार को दोपहर 3 बजे शुरू होना था।
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बताया जाता है भादो अमावस्या पर श्री राम मंदिर और राणी सती दादी मंदिर द्वारा भादी मावस उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। राणी सती दादी मंदिर समिति ने बताया की मंदिर में पिछले 9 सालों से गांधी गंज राणी सती दादी मंदिर में मित्तल कलानोरिया परिवार द्वारा भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।

इतना पुराना है मंदिर
बताया जाता है रानी सती को समर्पित झुंझुनू का यह मंदिर करीब 400 साल पुराना है, जिसे सम्मान, ममता और स्त्री शक्ति का प्रतीक माना जाता है। राजस्थान के मारवाड़ी लोगों का मानना है कि रानी सतीजी, मां दुर्गा का अवतार थीं। बताया जाता है की, उन्होंने अपने पति के हत्यारे को मार कर बदला लिया और फिर अपनी सती होने की इच्छा पूरी की। बता दें यहां मंदिर परिसर में रानी सती के अलावा कई मंदिर हैं, जो शिव जी, गणेश जी, माता सीता और राम जी के परम भक्त हनुमान को समर्पित हैं। मंदिर परिसर में षोडश माता का भी अति सुंदर मंदिर है, जिसमें 16 देवियों की मूर्तियां लगी हैं।
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लोक मान्यता के अनुसार रानी सती जी, मां दुर्गा का अवतार थीं। रानी सती मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। आज के समय में यहां मंदिर प्रबंधन सती प्रथा का विरोध करता है। यही नहीं मंदिर के गर्भ गृह के बाहर बड़े अक्षरों में लिखा हुआ भी है- हम सती प्रथा का विरोध करते हैं।

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